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छत्तीसगढ़: मणिपुर की घटना के खिलाफ आदिवासी संगठन ने बुलाया बंद, बस्तर संभाग में नहीं खुलीं दुकानें

मणिपुर में हिंसा और वहां की दो आदिवासी महिलाओं से हुए दुर्व्यवहार के बाद छत्तीसगढ़ के आदिवासियों का भी गुस्सा फूट पड़ा. उन्होंने बस्तर बंद बुलाया और सात जिलों में आज पूरी व्यवस्था अस्त-व्यस्त हो गयी. जरूरी सेवाओं को छोड़कर दुकानों से लेकर गाड़ियां तक बंद रहीं.

मणिपुर में कई महीने से चल रही हिंसा और दो आदिवासी महिलाओं का सामूहिक बलात्कार करने के बाद उन्हें निर्वस्त्र कर घुमाये जाने का वीडियो वायरल होने के बाद पूरा देश गुस्से में है. छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में भी लोगों ने सोमवार को अपना आक्रोश व्यक्त किया. मणिपुर की महिला के साथ हुए वीभत्स व्यवहार के विरोध में आदिवासियों की संस्था ने बस्तर संभाग बंद बुलाया था.

बंद पूरी तरह शांतिपूर्ण रहा, दुकानें रहीं बंद

बंद बुलाने वालों ने कहा कि मणिपुर में महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने की कथित घटना के विरोध में छत्तीसगढ़ में ‘सर्व आदिवासी समाज’ ने ‘बस्तर बंद’ का आह्वान किया था. बंद के दौरान संभाग के अधिकांश शहरों में व्यापारिक प्रतिष्ठान दोपहर तक बंद रहे. क्षेत्र के पुलिस अधिकारियों ने बताया कि बस्तर बंद शांतिपूर्ण रहा और क्षेत्र में किसी भी अप्रिय घटना की सूचना नहीं है.

बस्तर संभाग में हैं सात जिले

छत्तीसगढ़ के दक्षिण क्षेत्र के आदिवासी बाहुल्य बस्तर संभाग में सात जिले कांकेर, कोंडागांव, नारायणपुर, बस्तर, बीजापुर, दंतेवाड़ा और सुकमा शामिल हैं. सर्व आदिवासी समाज के बस्तर संभाग के अध्यक्ष प्रकाश ठाकुर ने बंद को सफल बताया और कहा कि समाज के सभी वर्गों ने मणिपुर में आदिवासी महिलाओं के साथ हुई बर्बर घटना के खिलाफ कड़ा विरोध दर्ज किया और अपने व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रखे.

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मणिपुर की घटना को बताया आदिवासी समुदाय का अपमान

ठाकुर ने बताया कि बंद का आह्वान सर्व आदिवासी समाज की बस्तर संभाग इकाई ने किया था. उन्होंने कहा कि आदिवासी महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने की भयावह घटना समुदाय का अपमान है और इसने पूरे देश को शर्मसार कर दिया है. बस्तर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज, जगदलपुर, ने बंद को समर्थन दिया था, जिसके कारण जगदलपुर शहर में व्यापारिक प्रतिष्ठान और दुकानें दोपहर दो बजे तक पूरी तरह बंद रहे.

मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाया

संभाग के अन्य जिलों के मुख्यालयों और शहरों में भी बंद के समर्थन में व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहे. क्षेत्र के स्कूलों, अस्पतालों, मेडिकल स्टोर और एम्बुलेंस जैसी आवश्यक सेवाओं को बंद से बाहर रखा गया था. क्षेत्र में परिवहन सेवा भी अप्रभावित रही. बता दें कि मणिपुर में कथित तौर पर मई के महीने में दो आदिवासी महिलाओं का पहले गैंगरेप किया और बाद में उसे नग्न अवस्था में सरेआम घुमाया. इस दौरान भी उनके साथ छेड़छाड़ की गयी.

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फौजी की पत्नी है एक पीड़िता

बताया जा रहा है जिन दो महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार हुआ, उनमें से एक भारतीय सेना के जवान की पत्नी थी. उस जवान ने करगिल युद्ध में अपनी देश की रक्षा के लिए पाकिस्तानी फौज का मुकाबला किया था. अपने ही देश में इस फौजी की पत्नी के साथ हुए व्यवहार ने पूरे देश को शर्मशार कर दिया. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ऐसी घटनाओं से देश को दुनिया में शर्मिंदगी झेलनी पड़ती है. उन्होंने कहा था कि उनका मन दुखी है. उनका मन क्रोध से भरा है.

संसद से सड़क तक हो रहा है विरोध

बता दें कि मणिपुर की इस घटना और वहां लगातार हो रही हिंसा का संसद से सड़क तक विरोध हो रहा है. संसद का मानसून सत्र चल रहा है और विपक्षी दलों ने लोकसभा और राज्यसभा दोनों को ठप कर रखा है. विपक्षी दल प्रधानमंत्री से मांग कर रहे हैं कि वह संसद में आकर मणिपुर की घटना पर बयान दें. जब तक पीएम संसद में बयान नहीं देंगे, तब तक वे सदन को नहीं चलने देंगे.

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क्षणिक शांति के बाद मणिपुर में फिर भड़की हिंसा

दूसरी तरफ, सड़क पर भी राजनीतिक दलों के साथ-साथ सामाजिक संगठन इस घटना का जमकर विरोध कर रहे हैं. जुलूस निकाले जा रहे हैं. मानव शृंखला बनायी जा रही है. सरकारों के पुतले फूंके जा रहे हैं. मंत्रियों और मुख्यमंत्री से इस्तीफा मांगा जा रहा है. उधर, मणिपुर सरकार का दावा है कि जल्द ही प्रदेश में हालात सामान्य हो जायेंगे. लेकिन, बताया जा रहा है कि थोड़ी सी शांति के बाद फिर से मणिपुर में हिंसा भड़क उठी.

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