नारायण चंदेल भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बड़े नेता हैं. 18 अगस्त 2022 से छत्तीसगढ़ विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं. 90 के दशक में ही उन्होंने राजनीति में कदम रख दिया था. वर्ष 1991-92 में वह बाल संरक्षण गृह के सदस्य बने. इसी साल नगर पालिका परिषद की परामर्शदातृ समिति के सदस्य बनाए गए. जिला विकलांग एवं पुनर्वास समिति के सदस्य के अलावा दीनदयाल अंत्योदय समिति के भी सदस्य इसी दौरान रहे. वर्ष 1994 से वर्ष 1996 तक नारायण चंदेल भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) के प्रदेश मंत्री रहे. वर्ष 1996 में उन्हें भारतीय जनता युवा मोर्चा का प्रदेश उपाध्यक्ष बना दिया गया. इस पद पर वह वर्ष 1998 तक रहे. वर्ष 1996 से 1998 तक वह दक्षिण पूर्व रेलवे सलाहकार समिति के सदस्य भी रहे.
1998 में पहली बार विधानसभा पहुंचे नारायण चंदेल
नारायण चंदेल वर्ष 1998 में पहली बार विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए. इसके बाद वर्ष 2008 और वर्ष 2018 में भी विधायक बने. इस तरह नारायण चंदेल अब तक तीन बार विधानसभा का चुनाव जीत चुके हैं. वर्ष 2000 में उन्हें भाजपा प्रदेश परिषद का सदस्य एवं जिला महामंत्री बनाया गया. इसी साल वह भाजपा प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य बने. इसके बाद 2001-02 में वह छत्तीसगढ़ विधानसभा की लोक लेखा समिति, विशेषाधिकार समिति के साथ-साथ प्रश्न एवं संदर्भ समिति के भी सदस्य रहे. इस दौरान उन्हें बीजेपी किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष और बीजेपी के प्रदेश महामंत्री की भी जिम्मेदारी दी गई.
विधानसभा की कई समितियों में रहे सदस्य
वर्ष 2002-03 में नारायण चंदेल को छत्तीसगढ़ विधानसभा की अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा पिछड़ा वर्ग के कल्याण संबंधी समिति और सदस्य सुविधा एवं सम्मान समिति का सदस्य बनाया गया. वर्ष 2003-04 में उनको विधानसभा की विशेषाधिकार समिति, सदस्य सुविधा एवं सम्मान समिति का सदस्य नियुक्त किया गया. वर्ष 2007-08 में वह अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष बने. इसी दौरान वह गुरु घासीदास विश्वविद्यालय कार्य परिषद के सदस्य भी रहे. इसके अलावा सांस्कृतिक विकास मंडल जांजगीर के संरक्षक और युवा खेल विकास परिषद के आजीवन सदस्य बने.
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सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति के सभापति रहे चंदेल
वर्ष 2009-10 में बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता को छत्तीसगढ़ विधानसभा की सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति का सभापति बनाया गया. इस दौरान वह प्रश्न एवं संदर्भ समिति और सामान्य प्रयोजन समिति के सदस्य नियक्त किए गए. वर्ष 2010-11 में उनको छत्तीसगढ़ विधानसभा का उपाध्यक्ष बनाया गया. इस दौरान वह सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति के सभापति रहे. कार्य मंत्रणा समिति के विशेष आमंत्रित सदस्य रहे. इतना ही नहीं, छत्तीसगढ़ विधानसभा में सामान्य प्रयोजन समिति के भी सदस्य रहे.
कार्यमंत्रणा समिति के विशेष आमंत्रित सदस्य रहे
वर्ष 2011 से वर्ष 2014 के बीच वह छत्तीसगढ़ विधानसभा की कार्यमंत्रणा समिति के विशेष आमंत्रित सदस्य रहे. इसके अलावा सामान्य प्रयोजन समिति के सदस्य भी रहे. वर्ष 2011-12 में उनको रोगदा जलाशय हस्तांतरित करने संबंधी जांच हेतु गठित सदन समिति का सभापति नियुक्त किया गया. वर्ष 2019 से वर्ष 2021 तक वह विधानसभा के सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति, गैर सरकारी सदस्यों के विधेयकों एवं संकल्पों संबंधी समिति के सदस्य बनाए गए.
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18 अगस्त 2022 को छत्तीसगढ़ विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बने
नारायण चंदेल को 18 अगस्त 2022 को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी दी गई. तब से अब तक वह इस पद पर हैं. 19 अप्रैल 1965 को जांजगीर-चांपा जिले के नैला में जंगीराम चंदेल के घर उनका जन्म हुआ. 6 दिसंबर 1989 को प्रमिला चंदेल से उनका विवाह हुआ. नारायण-प्रमिला की तीन संतानें हैं. इनमें एक पुत्र और दो पुत्रियां हैं. स्नातक तक पढ़े लिखे नारायण चंदेल ने अपना व्यवसाय कृषि बताया है. पर्यटन, साहित्य और भाषण में उनकी रुचि है. उन्होंने नेपाल, थाईलैंड और सिंगापुर की यात्रा की है.
2018 में तीसरी बार विधायक बने बीजेपी नेता नारायण चंदेल
वर्ष 2018 के छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में नारायण चंदेल ने बीजेपी के टिकट पर जांजगीर-चांपा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था और वह तीसरी बार विधायक चुने गए थे. उन्होंने कांग्रेस पार्टी के मोतीलाल देवांगन को पराजित किया था. नारायण चंदेल को 54040 वोट मिले थे, जबकि मोतीलाल देवांगन को 49,852 वोट मिले थे. तीसरे स्थान पर बहुजन समाज पार्टी के व्यास नारायण कश्यप रहे थे. उन्हें 33505 वोट मिले, जबकि चौथे स्थान पर आम आदमी पार्टी (आप) के संजय कुमार शर्मा रहे, जिन्हें 1538 वोट मिले थे.
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जांजगीर-चांपा में नारायण चंदेल को मिले थे 1,47,119 वोट
जांजगीर-चांपा में 2018 में कुल 2,03,330 वोटर थे. इनमें से 1,47,119 वोटर्स ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था. इस तरह यहां 72.35 फीसदी वोटिंग हुई थी. इसमें से 36.73 फीसदी वोट पाकर चंदेल पहले नंबर पर रहे थे. मोतीलाल देवांगन को 33.89 फीसदी, व्यास नारायण कश्यप को 22.77 फीसदी और संजय कुमार शर्मा को 1.05 फीसदी वोट मिले थे.