डॉ शिवकुमार डहरिया अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित विधानसभा सीट आरंग से विधायक हैं. छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार में नागरीय प्रशासन एवं विकास, श्रम मंत्री हैं. वह विधानसभा की कार्यमंत्रणा समिति के सदस्य भी हैं. वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने आरंग (एससी) सीट भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से छीन ली थी. इस विधानसभा सीट पर वर्ष 2003 से बीजेपी जीत रही थी. लेकिन, 2018 में कांग्रेस के टिकट पर डहरिया ने चुनाव लड़ा और बीजेपी के संजय ढीढी को 25 हजार से अधिक मतों के अंतर से पराजित कर दिया. कांग्रेस पार्टी ने एक बार फिर डहरिया पर विश्वास जताया है और उन्हें आरंग से ही टिकट दिया है. बीजेपी ने इस बार उनके खिलाफ गुरु खुशवंत सिंह को मैदान में उतारा है.
करीब 5 दशक का है डॉ डहरिया का राजनीतिक करियर
डॉ शिवकुमार डहरिया का लंबा राजनीतिक करियर है. उन्होंने राजनीतिक करियर की शुरुआत छात्र नेता के रूप में की थी. 90 के दशक में स्कूल एवं कॉलेज छात्र संघ के विभिन्न पदों पर रहे. 1989 में मध्यप्रदेश की 20 सूत्री समिति के सदस्य रहे. वर्ष 1990 में मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के अनुसूचित जाति एवं जनजाति प्रकोष्ठ के संयुक्त मंत्री रहे. वर्ष 1997 में उनको प्रदेश युवक कांग्रेस का महामंत्री बनाया गया. वर्ष 1990 से 2000 तक जिला एवं प्रदेश कांग्रेस कमेटी, युवक कांग्रेस के महामंत्री के पद पर रहे.
डॉ शिवकुमार डहरिया को मध्यप्रदेश में मित्रा था राज्यमंत्री का दर्जा
वर्ष 2000 में उनको राज्यमंत्री का दर्जा मिला. मध्यप्रदेश सरकार में राज्य परिवहन प्राधिकरण के सदस्य बनाये गये. वर्ष 2001 में उनको छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी का प्रभारी महामंत्री बना दिया गया. वर्ष 2003 में वह पहली बार विधानसभा के लिए चुने गये. इसके बाद वर्ष 2008 और वर्ष 2018 में विधायक बने. वर्ष 2004 में उनको छत्तीसगढ़ विधानसभा की अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के कल्याण संबंधी समिति का सदस्य बनाया गया. वर्ष 2004-05 में पटल पर रखे गये पत्रों के परीक्षण करने संबंधी समिति में उनको शामिल किया गया.
विधानसभा की कई समितियों में रहे सदस्य
वर्ष 2006-07 में गैर सरकारी सदस्यों के विधेयकों तथा संकल्पों संबंधी समिति में रहे. वर्ष 2007 से 2010 तक सदस्य सुविधा एवं सम्मान समिति के सदस्य रहे, तो वर्ष 2010-11 में विशेषाधिकार समिति, प्रश्न एवं संदर्भ समिति का सदस्य उन्हें बनाया गया. वर्ष 2011-12 में सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के कल्याण संबंधी समिति में उनको सदस्य के रूप में शामिल किया गया. वर्ष 2012-13 में डॉ डहरिया को लोक लेखा समिति, शासकीय आश्वासनों संबंधी समिति का सदस्य बनाया गया.
कार्यमंत्रणा समिति में भी सदस्य रहे डॉ डहरिया
वर्ष 2013-14 में उनको अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के कल्याण संबंधी समिति, शासकीय आश्वासनों संबंधी में रहे. वर्ष 2019 में जब कांग्रेस की सत्ता में वापसी हुई, तो भूपेश बघेल की कैबिनेट में उनको नगरीय प्रशासन एवं विकास, श्रम मंत्रालय की जिम्मेवारी सौंपी गयी. वर्ष 2019 से 2021 तक वह कार्यमंत्रणा समिति के सदस्य रहे.
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राजीव गांधी के कहने पर बीजेपी के खिलाफ आंदोलन किया, जेल गये
रायपुर जिले के छछानपैरी गांव में आशाराम डहरिया के घर जन्मे डॉ शिवकुमार डहरिया का जन्म 18 दिसंबर 1964 को हुआ. 8 मई 1988 को शकुन डहरिया से उनका विवाह हुआ. इनकी तीन संतानें हैं. एक पुत्र और दो पुत्रियां हैं. बीएएमएस की पढ़ाई करने वाले डॉ डहरिया का पेशा खेती-बाड़ी और डॉक्टरी है. खेल एवं समाज कल्याण में रुचि रखते हैं. खेल एवं विभिन्न क्षेत्रों में नेतृत्व करने के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है. वर्ष 1990 में राजीव गांधी के कहने पर भोपाल में बीजेपी सरकार के खिलाफ आंदोलन किया और जेल भी गये. डॉ डहरिया इंगलैंड की यात्रा कर चुके हैं.
25 हजार से अधिक मतों से जीते थे शिवकुमार डहरिया
वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में डॉ डहरिया को 69,900 वोट मिले थे. इस साल आरंग (अजा) सीट पर 2,01,918 वोटर मतदान करने के अधिकारी थे. इनमें से 1,54,978 यानी 76.85 फीसदी ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. इनमें से 45.10 फीसदी वोट डॉ शिवकुमार डहरिया के पक्ष में पड़े. बीजेपी के संजय ढीढी 44,823 (28.92 फीसदी) वोट मिले. अजीत जोगी की पार्टी जेसीसी (जे) के संजय चेलक को 27,908 (18 फीसदी) और निर्दलीय उम्मीदवार शारदा बंजारे को 3,042 (1.96 फीसदी) वोट प्राप्त हुए.
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कभी भी हो सकती है विधानसभा चुनाव की घोषणा
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 दो चरणों में हो रहा है. पहले चरण में 20 सीटों पर सात नवंबर को वोटिंग होगी, जबकि 17 नवंबर को दूसरे चरण में 70 सीटों पर वोटर अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे. छत्तीसगढ़ विधानसभा में 90 सीटें हैं. वर्ष 2003 से वर्ष 2018 तक लगातार भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सरकार रही. वर्ष 2018 में कांग्रेस पार्टी ने बीजेपी को बुरी तरह से पराजित किया. कांग्रेस ने 90 में से 68 सीटें जीत लीं, जबकि बीजेपी 15 सीटों पर सिमटकर रह गई.