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नव- वर्ष में नया उजास हो

नूतन-वर्ष के स्वागत की है तैयारी, बहुत तकलीफ सही,अब नव-वर्ष से उम्मीदें हैं भारी। आशाएँ हैं अनंत जिन्हें उँगलियों पर गिनना है जारी, दुख भरे दिन बीते,जल्दी नये साल की सुबह हो प्यारी।

नूतन-वर्ष के स्वागत की है तैयारी,

बहुत तकलीफ सही,अब नव-वर्ष से उम्मीदें हैं भारी।

आशाएँ हैं अनंत जिन्हें उँगलियों पर गिनना है जारी,

दुख भरे दिन बीते,जल्दी नये साल की सुबह हो प्यारी।

नव- वर्ष में नया उजास हो।

सूरज की तेज़ चमक और पक्षियों की चहक हो।

भय,चिन्ता,ग़म का न कोई साया हो,

स्वजनों की शीतल सुखद छाया हो।

चहुँ ओर खुशियों की हो क्यारी,

न कोई देश विवश हो बंद करने को अपनी सीमाएँ सारी।

न हो किसी को कोई दुख़, न कोई लाचारी,

रहें सब सुरक्षित,न आए असमय किसी के परलोक गमन की बारी।

नव- वर्ष में उत्साह और उल्लास हो,

सबका जीवन पुनः सामान्य होने की आस हो।

हर्ष और उमंग सबके आस-पास हो,

आशाओं का दामन थामे,सबका मंगल करने की प्यास हो।।

2.

हर युवा ढूँढ़े

हर गाँव-गाँव,हर शहर-शहर

हर युवा ढूँढ़े अपनी मंज़िल की डगर।

कोई बाधा न तोड़े उसका इरादा मगर

बढ़ता जाए अपने लक्ष्य की ओर अपने दम पर।

हर युवा की बुद्धि बने अनुभव से प्रखर

हर तर्जुबा बनाए उसकी पैनी नज़र।

उसको हो देश- दुनिया की ख़बर

बढ़ता जाए सफ़लता की ओर उत्तरोत्तर।

उसका हर कर्म देश के लिए हो हितकर

समूचा देश हो जाए उसका घर-द्वार,परिवार।

करना है अपनी धरती और माँ भारती का उपकार

यही विचार मन में हिलोरे मारे बार-बार।।

– सीमा बेरी

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