भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के विभिन्न मिशन की सफलता को देखते हुए 23 कंपनियों ने उसकी लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान टेक्नोलॉजी को खरीदने में रुचि दिखाई है. एक शीर्ष अधिकारी ने यह जानकारी दी. भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (इन-स्पेस) के अध्यक्ष पवन के गोयनका ने कहा कि वे इस बात को लेकर उत्सुक हैं कि निजी क्षेत्र किस तरह लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) टेक्नोलॉजी का उपयोग करता है. उन्होंने कहा, बहुत अच्छा प्रतिक्रिया मिली है. अब तक 23 कंपनियों ने इस टेक्नोलॉजी के लिए आवेदन करने में रुचि दिखाई है. जाहिर है कि किसी एक को यह मिलेगी.
अंतरिक्ष विभाग (डीओएस) के तहत स्वायत्त नोडल एजेंसी के रूप में काम करने वाली इन-स्पेस का गठन 2020 में हुआ था. उसने गत जुलाई महीने में एसएसएलवी के टेक्नोलॉजी हस्तांतरण (टीओटी) के लिए अभिरुचि पत्र (ईओआई) जारी किया था और इस पर जवाब देने की अंतिम तारीख 25 सितंबर है. गोयनका ने कहा, टेक्नोलॉजी हस्तांतरण एक ऐसी चीज है जिस पर हम बहुत आक्रामक तरीके से काम कर रहे हैं, क्योंकि हम वास्तव में यह देखना चाहते हैं कि निजी क्षेत्र द्वारा इसरो की टेक्नोलॉजी का लाभ कैसे उठाया जाता है. इस क्षेत्र में बहुत कुछ हो रहा है और सबसे बड़ा पहलू निश्चित रूप से एसएसएलवी टेक्नोलॉजी हस्तांतरण है, जहां हम प्रक्षेपण यान की समस्त तकनीक निजी क्षेत्र को स्थानांतरित कर रहे हैं.
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भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा यहां आयोजित अंतरिक्ष पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, यह शायद पहला उदाहरण है जहां दुनिया में कहीं भी किसी एजेंसी ने प्रक्षेपण यान की पूरी डिजाइन को निजी क्षेत्र को स्थानांतरित किया है. गोयनका ने कहा कि निजी क्षेत्र को 42 एप्लीकेशन या अंतरिक्ष टेक्नोलॉजी हस्तांतरित की जानी हैं. उन्होंने कहा कि इसरो और इन-स्पेस इस प्रक्रिया के लिए मिलकर काम कर रहे हैं और 19 टेक्नोलॉजी हस्तांतरण के लिए तैयार हैं. उन्होंने कहा, हम एक राज्य के साथ सहमति-पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने की प्रक्रिया में हैं और एक अन्य राज्य के साथ भी इस दिशा में काम हो रहा है.
गोयनका ने कहा कि इस समय भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था 8 अरब डॉलर की है और इसे 2033 तक 44 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य है. ऑस्ट्रेलिया उच्चायोग की उप उच्चायुक्त सारा स्टोरी ने इस मौके पर अपने संबोधन में अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत के साथ सहयोग और साझेदारी की अपने देश की प्रतिबद्धता को दोहराया. ऑस्ट्रेलियन स्पेस एजेंसी के प्रमुख एनरिको पालेर्मो ने सम्मेलन में अपने वीडियो संदेश के माध्यम से दोनों देशों के बीच साझेदारी के क्षेत्रों का उल्लेख किया. दोनों ने अंतरिक्ष क्षेत्र में, खासतौर पर चंद्रयान-3 तथा आदित्य एल-1 मिशन में भारत की उपलब्धियों की प्रशंसा की.
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