सरकार ने डीपफेक के मुद्दे से निपटने में कंपनियों की तरफ से किए गए प्रयासों की ‘समीक्षा’ के लिए सोशल मीडिया मंचों के साथ एक और बैठक की. सूत्रों ने यह जानकारी दी. ‘डीपफेक’ का आशय छेड़छाड़ की गई मीडिया सामग्री से है. इसमें किसी भी व्यक्ति को गलत ढंग से पेश करने या दिखाने के लिए कृत्रिम मेधा (एआई) की मदद से डिजिटल हेराफेरी की जाती है और उसे बदल दिया जाता है. हाल ही में कुछ फिल्म कलाकारों को निशाना बनाने वाले कई ‘डीपफेक’ वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे. उसके बाद छेड़छाड़ की गई सामग्री और नकली आख्यान बनाने के लिए प्रौद्योगिकी एवं उपकरणों के दुरुपयोग को लेकर सरकार सतर्क हो गई है. सूत्रों ने कहा कि सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों को साफ तौर पर बता दिया है कि सूचना प्रौद्योगिकी नियमों के तहत चिह्नित 11 ‘उपयोगकर्ताओं को नुकसान’ या ‘गड़बड़ियां’ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के समकक्ष प्रावधानों में समाहित हैं. ऐसे में मौजूदा कानूनों के तहत भी आपराधिक प्रावधानों का सामना करना होगा.
इसके पहले 24 नवंबर को भी सूचना प्रौद्योगिकी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने सोशल मीडिया मंचों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की थी. उन्होंने कंपनियों को डीपफेक मुद्दे पर निर्णायक कार्रवाई करने और अपनी इस्तेमाल की शर्तों को नियमों के अनुरूप ढालने के लिए सात दिन का समय दिया था. सूत्रों के मुताबिक, पिछली बैठक के बाद हुई प्रगति का आकलन करने के लिए सोशल मीडिया मंचों के साथ एक समीक्षा बैठक आयोजित की गई. इसमें यह तथ्य सामने आया कि कुछ मंचों ने सरकारी निर्देशों का अनुपालन कर लिया है जबकि ऐसा कर पाने में नाकाम रहे कुछ मंचों को अतिरिक्त समय दिया गया है.
Also Read: DeepFake: रश्मिका मंदाना, कैटरीना और काजोल के बाद आलिया भट्ट का वीडियो वायरल, बड़े सेलेब्स बन रहे AI का शिकार
सरकार ने बैठक में यह स्पष्ट कर दिया कि वह उपयोगकर्ता को नुकसान के संदर्भ में अपना ‘शून्य सहनशीलता’ वाला नजरिया जारी रखेगी. इस मुद्दे के आकलन के लिए सोशल मीडिया कंपनियों के साथ एक हफ्ते में अंतिम बैठक की जाएगी. सूत्रों के मुताबिक, जहां कई सोशल मीडिया मंच हालात की जरूरत को समझते हुए तेजी से इसे अपना रहे हैं वहीं कुछ मंचों ने इसमें सुस्ती दिखाई है. बैठक में सरकार ने कहा कि सोशल मीडिया उपयोगकर्ता को नुकसान पहुंचाने के आपराधिक परिणाम हो सकते हैं और मौजूदा कानूनों में भी इस तरह के अपराधों के लिए इनका प्रावधान किया गया है.
मसलन, दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की एक धारा ‘जालसाजी’ के तहत डीपफेक के लिए मुकदमा चलाने की अनुमति देती है. इसी तरह, दूसरे तरह के नुकसान के लिए आईपीसी के तहत भी समान प्रावधान मौजूद हैं. सूत्र ने कहा, हम नुकसान के लिए ‘शून्य सहनशीलता का दृष्टिकोण’ अपनाने जा रहे हैं जो कार्रवाई करने में धीमे हैं, हमने उन्हें कुछ और समय दिया है. लेकिन हम सभी भारतीयों के लिए इंटरनेट को सुरक्षित और विश्वसनीय बनाने में सरकार के दृष्टिकोण में कोई भी ढील नहीं देने जा रहे हैं. सरकार सात दिन में इसकी समीक्षा करेगी कि क्या सोशल मीडिया कंपनियों के लिए सलाह पर्याप्त होगी या उन्हें नए या संशोधित नियम जारी करने होंगे.
Also Read: कितने तरह का होता है Deepfake? कैसे कर सकते हैं इसकी पहचान? यहां जानें