Arvind Kejriwal News : सुप्रीम कोर्ट ने बयान दर्ज कराने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा बार-बार समन जारी किये जाने के बावजूद ईडी के समक्ष उनके पेश नहीं होने पर सोमवार को सवाल उठाया. कोर्ट ने कहा कि क्या वह अपने बयान दर्ज नहीं किये जाने के आधार पर, आबकारी नीति घोटाले से जुड़े धन शोधन के एक मामले में अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दे सकते हैं. मामले में 21 मार्च को गिरफ्तार किये जाने के बाद केजरीवाल न्यायिक हिरासत में हैं. वह यहां तिहाड़ जेल में बंद हैं.
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने केजरीवाल की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी से कई सवाल पूछे और कहा कि आम आदमी पार्टी के नेता ने अधीनस्थ अदालत में जमानत याचिका दायर क्यों नहीं की. पीठ ने कहा, क्या आप यह कहकर अपनी ही बात का खंडन नहीं कर रहे हैं कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 50 के तहत उनके बयान दर्ज नहीं किए गए ? आप धारा 50 के तहत बयान दर्ज कराने के लिए समन जारी किये जाने पर उपस्थित नहीं होते हैं और फिर कहते हैं कि यह दर्ज नहीं किया गया.
कोर्ट ने पूछा कि यदि अरविंद केजरीवाल समन पर उपस्थित नहीं होते हैं तो जांच अधिकारी क्या करेंगे. न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा, यदि आप धारा 50 के तहत बयान दर्ज नहीं कराते हैं तो आप यह नहीं कह सकते कि उनके बयान दर्ज नहीं किये गए. सिंघवी ने कहा, मेरा कहना है कि अन्य सामग्रियां भी मेरे अपराध को स्थापित नहीं करतीं. ईडी मुझे गिरफ्तार करने मेरे घर आई थी. तो फिर ईडी मेरे घर पर धारा 50 के तहत मेरा बयान क्यों नहीं दर्ज कर सकती?
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पीएमएलए की धारा 50 ईडी अधिकारियों को समन जारी करने और दस्तावेज, सबूत तथा अन्य सामग्री पेश करने की शक्ति प्रदान करने से संबंधित है. पीठ प्रवर्तन निदेशालय द्वारा केजरीवाल की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर सुनवाई कर रही है. सुनवाई की शुरूआत में, पीठ ने सिंघवी से पूछा, आपने जमानत के लिए कोई अर्जी अधीनस्थ अदालत में दायर नहीं की थी? सिंघवी ने जवाब दिया, ‘‘नहीं’
न्यायालय ने पूछा, आपने जमानत के लिए कोई अर्जी क्यों नहीं दायर की? केजरीवाल के वकील ने कहा कि इसके कई कारण हैं जिनमें मुख्यमंत्री की ‘‘गैरकानूनी’’ गिरफ्तारी भी शामिल है. शीर्ष अदालत ने 15 अप्रैल को ईडी को एक नोटिस जारी किया था और केजरीवाल की याचिका पर उसका जवाब मांगा था. यह विषय 2021-22 के लिए, दिल्ली सरकार की अब रद्द की जा चुकी आबकारी नीति तैयार करने और उसके क्रियान्वयन में कथित भ्रष्टाचार और धन शोधन से संबंधित है.