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अवैध खनन की भूमि बीरभूम में लगातार मजबूत हो रहा रेत खनन से उपजा ‘माफिया राज’

उत्खननकर्ताओं की मदद से वास्तविक खनन से लेकर ट्रक में लोड करने तक के पूरे ‘अभियान’ की निगरानी कथित तौर पर ताकतवर लोगों के लिए काम करने वाले स्थानीय युवा करते हैं, जिनकी स्थानीय पुलिस के साथ अच्छी साठगांठ रहती हैं.

चुनाव आए और गए लेकिन पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में अवैध पशु तस्करी और रेत खनन से उपजा ‘माफिया राज’ लगातार मजबूत होता जा रहा है. इस तरह की गतिविधियों में शामिल नेताओं पर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा मुहिम चलाए जाने के बावजूद यहां मयूराक्षी, अजय और ब्राह्मणी नदियों के पास के करीब 80 स्थलों से अवैध तरीके से खनन की गई रेत से भरे ट्रकों की लंबी कतारें अब भी देखी जा सकती हैं.

स्थानीय युवा करते हैं अवैध कार्यों की निगरानी

उत्खननकर्ताओं की मदद से वास्तविक खनन से लेकर ट्रक में लोड करने तक के पूरे ‘अभियान’ की निगरानी कथित तौर पर ताकतवर लोगों के लिए काम करने वाले स्थानीय युवा करते हैं, जिनकी स्थानीय पुलिस के साथ अच्छी साठगांठ रहती हैं. सीबीआई द्वारा तस्करी मामलों की जांच शुरू करने के बाद पशुओं की तस्करी में गिरावट देखी गई है, लेकिन अवैध रेत खनन अब भी क्षेत्र में कई परिवारों के लिए आय का स्त्रोत बना हुआ है.

अजय, मयूराक्षी, ब्राह्मणी नदी से होता है रेत का अवैध खनन

नाम नहीं जाहिर करने के अनुरोध पर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के एक नेता ने आरोप लगाया, ‘कौन कहता है कि बीरभूम में रेत खनन नहीं होता है? आप अजय, मयूराक्षी, ब्राह्मणी के तट पर जाइए, जहां आप देखेंगे कि ताकतवर और पहुंच वाले लोगों के लिए काम करने वाले मजदूर लॉरियों में रेत भर रहे हैं.’

जेसीबी मशीनों से भरी जाती हैं लॉरियां

बोलपुर के निकट अजय नदी के तट पर कई जेसीबी मशीनें लॉरियों में रेत भरते दिख जायेंगी. जिले में इन ‘ताकतवर’ कारोबारियों के लिए काम करने वाले कुछ लोग समूची प्रक्रिया पर नजर रखते दिखेंगे. नानूर में एक जाने-माने रेत व्यापारी मदनमोहन गुप्ता ने बताया कि राज्य प्रशासन में सत्ता बदलने और तृणमूल कांग्रेस के बीरभूम के अध्यक्ष अनुब्रत मंडल का कद बढ़ने के बाद से उन्हें कारोबार चलाने में मुश्किल आ रही है. मंडल को अगस्त 2022 में केंद्रीय एजेंसियों ने गिरफ्तार किया था.

अनुब्रत मंडल की गिरफ्तारी से स्थिति में सुधार : कारोबारी

शांतिनिकेतन में रतनपल्ली में अपने आवास से गुप्ता ने दावा किया कि अवैध रेत खनन से हर दिन औसतन 35-40 लाख रुपये की कमाई होती थी और ‘कारोबार भी बढ़ रहा था’. गुप्ता ने कहा, ‘नदियों के तटों के पास खनन होता है, जो पंचायत क्षेत्रों के अंतर्गत आते हैं. हमारा वैध कारोबार है और हम कई पीढ़ियों से इस कारोबार में हैं. लेकिन, अब अवैध खनन के कारण हम संघर्ष कर रहे हैं. अनुब्रत मंडल की गिरफ्तारी से चीजों में सुधार हुआ है.’

झारखंड, बिहार समेत इन राज्यों में भेजे जाते हैं रेत

अवैध रूप से खनन के बाद रेत को गुजरात, केरल, पड़ोसी झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा के कुछ हिस्सों, बिहार के अलावा उत्तर 24 परगना जिले, पश्चिम बर्दवान जिले के दुर्गापुर और आसनसोल और मुर्शिदाबाद जिले के बेहरामपुर में ‘तस्करी’ के माध्यम से भेजा जाता है.

वाम शासन के दौरान के चलन को हमने किया समाप्त

संपर्क करने पर स्थानीय विधायक आशीष बंद्योपाध्याय ने इस बात से इनकार किया कि जिले में अवैध रूप से रेत का खनन किया जा रहा है। बंद्योपाध्याय पश्चिम बंगाल विधानसभा के उपाध्यक्ष भी हैं. बंद्योपाध्याय ने कहा, ‘बीरभूम में कोई अवैध रेत खनन नहीं होता है. ये विपक्षी दलों के निराधार और झूठे आरोप हैं. हमारी पार्टी ने वाम मोर्चा शासन के दौरान शुरू हुई ऐसे किसी भी तरह के चलन को समाप्त कर दिया है.’

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