बीजेपी सांसद रमेश बिधूड़ी की बयानबाजी का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. बयान को लेकर विपक्ष लगातार बीजेपी पर निशाना साध रहा है. साथ ही उनके निलंबन के लिए भी विपक्षी दलों का दबाव बढ़ता जा रहा है. ऐसे में बिधूड़ी के निलंबन का खतरा बढ़ गया है. विपक्षी दलों के नेताओं ने सदन में बसपा सांसद दानिश अली के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणी को लेकर सांसद रमेश बिधूड़ी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के लिए शनिवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला पर दबाव बढ़ाया. लोकसभा में कांग्रेस के मुख्य सचेतक के सुरेश ने बिधूड़ी को तत्काल निलंबित करने की मांग करते हुए ओम बिरला को पत्र भी लिखा है. वहीं, सुरेश ने मामले को विशेषाधिकार समिति के पास भेजने की मांग की है. कांग्रेस नेता ने कहा कि वह घटना के समय सदन में शोर-शराबे और अनुवाद सेवाएं बहुत अच्छी नहीं होने की वजह से बिधूड़ी के शब्दों का सही अर्थ नहीं समझ सके, हालांकि उन्होंने सदस्यों के रुख को भांपते हुए विवादित टिप्पणियों को कार्यवाही से हटाने का निर्देश दिया.
बीजेपी ने किया पलटवार
इधर, इस मामले में बीजेपी विपक्ष के वार पर पलटवार कर रही है. इसी कड़ी में बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष को बीएसपी सांसद दानिश अली के अशोभनीय आचरण और टिप्पणियों की भी जांच करनी चाहिए. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को लिखे पत्र में दुबे ने दानिश अली पर गुरुवार को लोकसभा में बिधूड़ी के भाषण के दौरान टोका-टोकी करने और अप्रिय टिप्पणियां करने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि दानिश के ऐसा करने का मकसद बिधूड़ी को उकसाना था कि वह अपना धैर्य खो दें. दुबे ने आरोप लगाया कि अली ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ बहुत ही आपत्तिजनक और अपमानजनक टिप्पणी की थी. उन्होंने दावा किया कि अली ने ‘नीच’ शब्द का इस्तेमाल किया, जो किसी भी देशभक्त जन प्रतिनिधि के लिए अपना संयम खो देने और ऐसी अशोभनीय शब्द बोल कर उनके जाल में फंस जाने के लिए काफी है.
दुबे ने स्पष्ट शब्दों में बिधूड़ी की टिप्पणियों की निंदा करते हुए कहा कि कोई भी सभ्य समाज उन्हें सही नहीं ठहरा सकता. उन्होंने यह भी कहा कि लोकसभा के नियमों के तहत किसी सांसद को आवंटित समय के दौरान उनके बोलते वक्त टोकने, बैठे-बैठे बोलने और लगातार टीका-टिप्पणी करने के लिए भी सजा का प्रावधान है. दुबे ने कहा कि यदि बिधूड़ी ने अनुपयुक्त आचरण किया है, तो अली एवं अन्य सदस्यों ने भी समुदायों के बीच वैमनस्य फैलाया. दुबे ने लोस अध्यक्ष को लिखे पत्र में कहा कि मैं आपसे उक्त चर्चा के दौरान विभिन्न सदस्यों द्वारा कही गयी बातों की जांच के लिए एक जांच समिति बनाने का अनुरोध करता हूं. मेरा अनुरोध है कि यह समिति सदन में अपनी टिप्पणियों से हमारे नागरिकों को उकसाने को लेकर विभिन्न अन्य सांसदों की अभियोज्यता की सीमा की भी जांच करें.
गौरतलब है कि बिधूड़ी की ओर से लोकसभा में दानिश अली के खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किए जाने पर सदन में बड़ा विवाद पैदा हो गया था. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बिधूड़ी को चेतावनी भी दी. साथ ही बीजेपी ने उन्हें कारण बताओ नोटिस दिया है. वहीं, बिधूड़ी की टिप्पणियों को संसद की कार्यवाही से हटा दिया गया है. दरअसल, गुरुवार को लोकसभा में चंद्रयान-3 की सफलता पर चर्चा के दौरान बिधूड़ी की टिप्पणी पर हंगामा मच गया था. इसके बाद सांसद अली ने कहा था कि अगर कोई कार्रवाई नहीं की गई, तो वह सदन की सदस्यता छोड़ने पर विचार कर सकते हैं. कांग्रेस नेता एवं महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री नसीम खान ने शनिवार को मांग की थी कि लोकसभा में बसपा के सदस्य दानिश अली के बारे में अपमानजनक टिप्पणी को लेकर भाजपा सांसद बिधूड़ी को स्थायी रूप से निलंबित किया जाना चाहिए.खान ने कहा कि बिधूड़ी का शर्मनाक बयान न केवल एक सांसद का अपमान है, बल्कि हमारे लोकतंत्र के पवित्र स्थान संसद का भी अपमान है.
Also Read: Mann Ki Baat: मन की बात का आज 105वां एपिसोड, महिला आरक्षण बिल पर पीएम मोदी कर सकते हैं चर्चा
शिवसेना (यूबीटी)ने भी की आलोचना
इधर, लोकसभा अध्यक्ष से बिधूड़ी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग करते हुए शिवसेना (यूबीटी) की राज्यसभा सदस्य प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, अब तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई. केवल चेतावनी जारी करके, आप सांसदों को यह बता रहे हैं कि कोई भी इस तरह का व्यवहार करके बच सकता है. वहीं, प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने अली के खिलाफ बिधूड़ी द्वारा आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किए जाने को शर्मनाक करार देते हुए शनिवार को कहा कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को बिधूड़ी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए.
जमीयत प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने एक बयान में यह दावा भी किया कि नफरत अब लोकतंत्र के मंदिर तक पहुंच चुकी है. उन्होंने कहा, संसद में सत्तारूढ़ दल के एक सांसद द्वारा जिस तरह से एक मुस्लिम सांसद के लिए असंसदीय भाषा का इस्तेमाल किया गया, वह देश के लोकतांत्रिक इतिहास में इस तरह की पहली शर्मनाक घटना है.