संजय राउत ने शिवसेना और एनसीपी में टूट की बताई असली वजह, बीजेपी पर बोला हमला
बीजेपी के मुखर आलोचक राउत ने कहा कि शिवसेना (यूबीटी) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने शरद पवार से फोन पर बात की, जबकि कांग्रेस नेताओं ने राकांपा में विभाजन के बाद अपना समर्थन व्यक्त करने के लिए मंगलवार को शरद पवार से मुलाकात की.
Sanjay Raut on BJP: शिवसेना (यूबीटी) के राज्यसभा सदस्य संजय राउत ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि उसने अभी हाल में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और पिछले साल महाराष्ट्र में शिवसेना में विभाजन कराने की साजिश रची है. संजय राउत ने राकांपा नेता अजित पवार के शरद पवार के नेतृत्व वाली पार्टी से अलग होने के राजनीतिक घटनाक्रम का उल्लेख करते हुए कहा कि विपक्षी महा विकास आघाड़ी (एमवीए) गठबंधन फिर भी महाराष्ट्र में मजबूती से आगे बढ़ेगा.
भाजपा राजनीतिक खेल का आनंद ले रही
भाजपा के मुखर आलोचक राउत ने कहा कि शिवसेना (यूबीटी) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने शरद पवार से फोन पर बात की, जबकि कांग्रेस नेताओं ने राकांपा में विभाजन के बाद अपना समर्थन व्यक्त करने के लिए शरद पवार से मुलाकात की. राउत ने भाजपा के लिए दिल्ली का सुल्तान विशेषण का इस्तेमाल करते हुए कहा कि महाराष्ट्र में भाजपा राजनीतिक खेल का आनंद ले रही है, जबकि राज्य में सबसे प्रभावशाली सामाजिक समूह मराठा आपस में लड़ रहे हैं.
फूट डालो और राज करो भाजपा की नीति
संजय राउत ने कहा, फूट डालो और राज करो भाजपा की नीति है. उन्होंने शिव सेना में फूट डाल दी और एक परिवार जैसी पार्टी को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा कर दिया गया. अजित पवार को शरद पवार के खिलाफ खड़ा किया गया है. फूट डालो और राज करो अंग्रेजों की नीति थी. गौरतलब है कि राकांपा में रविवार को विभाजन हो गया और अजित पवार 40 से अधिक विधायकों के समर्थन का दावा करते हुए महाराष्ट्र में शिवसेना-भारतीय जनता पार्टी गठबंधन सरकार में शामिल हो गए.
अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री और राकांपा के आठ अन्य विधायकों ने मंत्री पद की ली शपथ
जानकारी के लिए बता दें रविवार को अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री और राकांपा के आठ अन्य विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली थी. अजित पवार ने पार्टी के सीनियर नेताओं प्रफुल्ल पटेल, छगन भुजबल, दिलीप वाल्से पाटिल के साथ असली राकांपा होने का दावा किया है. उल्लेखनीय है कि पिछले साल शिवसेना में भी उस समय विभाजन हो गया था जब एकनाथ शिंदे ने तीन दर्जन से अधिक विधायकों के साथ उद्धव ठाकरे के नेतृत्व के खिलाफ बगावत कर दी थी.