भारत में आयोजित G-20 सम्मेलन की तारीफ पूरी दुनिया में हो रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के नेतृत्व में हुए इस सफल आयोजन और उससे होने वाले भारत के फायदे को लेकर अब अलग-अलग व्यापार संघों के द्वारा अपनी प्रतिक्रिया दी जा रही है. भारत की राजधानी नयी दिल्ली में हाल में संपन्न जी20 नेताओं के शिखर सम्मेलन की सफलता देश के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है, जबकि चीन को इससे बड़ा नुकसान हुआ है. अमेरिका-भारत रणनीतिक एवं भागीदारी मंच (USISPF) के अध्यक्ष मुकेश अघी ने ये बात कही. अघी ने कहा कि जी20 शिखर सम्मेलन भारत के लिए एक कूटनीतिक सफलता है. उन्होंने कहा कि मूलतः, दो बातें सामने आईं. एक तो यह है कि आपका एक ही घोषणापत्र आया. लेकिन इससे भी अधिक महत्वपूर्ण यह है कि भारत वैश्विक दक्षिण के अगुवा के रूप में उभरा है. इसका मतलब है कि यह चीन के लिए नुकसान है क्योंकि उन्होंने अपने राष्ट्रपति को वहां नहीं भेजा. उन्होंने कहा कि जी-20 भारत के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है. इसके लिए भारतीय नेतृत्व को बधाई.
‘घोषणापत्र को लेकर हुआ आश्चर्य’
मुकेश अघी ने कहा कि ईमानदारी से कहूं तो, जब हमने सुना कि एक घोषणापत्र आ रहा है तो हमें आश्चर्य हुआ क्योंकि हमने सोचा था कि जी20 का कोई घोषणापत्र नहीं आएगा. पहली बार हमने ऐसा जी20 देखा, जहां भारत के इतने शहर जी20 शिखर सम्मेलन से पहले की बैठकों में शामिल थे. पूरा देश इसमें शामिल था, और सभी प्रमुख शहर शामिल थे. इसका मतलब है कि आप शहर को सजाते हैं, आप शहरों का निर्माण करते हैं, यह सुनिश्चित करते हैं कि मेहमानों के मन में शहर के बारे में सकारात्मक धारणा बने. अघी का मानना है कि चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग का जी20 शिखर सम्मेलन में शामिल न होने का निर्णय वास्तव में भारत के लिए अच्छा रहा. उन्होंने कहा कि मैं कहूंगा कि राष्ट्रपति शी के नहीं आने से मूल रूप से एक शून्य पैदा हो गया था. वहीं इससे राष्ट्रपति जो बाइडन और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने एजेंडा को अधिक स्वतंत्र रूप से चला सकते थे. और वे एक घोषणापत्र ला पाए.
भारत एक आर्थिक शक्ति बन रहा: अघी
अमेरिका-भारत रणनीतिक एवं भागीदारी मंच (यूएसआईएसपीएफ) के अध्यक्ष मुकेश अघी ने कहा कि भारत एक आर्थिक शक्ति बन रहा है. अभी भारतीय अर्थव्यवस्था 4,000 अरब डॉलर की है और अगले दो साल में यह 5,000 अरब डॉलर पर होगी. उन्होंने कहा कि जी20 शिखर सम्मेलन की सफलता प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व को भी दर्शाती है.
भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप गलियारे से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला होगा लचीली: ईईपीसी इंडिया
वहीं, भारतीय इंजीनियरिंग निर्यात संवर्द्धन परिषद (ईईपीसी इंडिया) का मानना है कि भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारा विश्व में व्यापार के लिए एक क्रांतिकारी कदम होगा. ईईपीसी इंडिया ने कहा कि ‘भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारा’ एक क्रांतिकारी परियोजना साबित होगी और इससे वैश्विक कारोबार को भारी बढ़ावा मिलेगा. प्रस्तावित ‘भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारा’ की घोषणा शनिवार को सम्पन्न हुए नयी दिल्ली जी-20 शिखर सम्मेलन में की गई है. ईईपीसी इंडिया के चेयरमैन अरुण कुमार गरोडिया ने कहा कि इस गलियारे से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में और ज्यादा लचीलापन आएगा. इस परियोजना का मकसद भारत को समुद्र तथा बंदरगाह के माध्यम से पश्चिम एशिया के जरिए यूरोप से जोड़ना है. उन्होंने एक बयान में कहा कि यह महाद्वीपों में वस्तुओं तथा सेवाओं की आवाजाही को एक नई परिभाषा देगा क्योंकि इससे रसद लागत में कमी आएगी और माल की त्वरित आपूर्ति सुनिश्चित होगी.
‘भारत के इंजीनियरिंग निर्यात क्षेत्र के लिए पश्चिम एशिया तथा यूरोप दोनों प्रमुख बाजार’
अरुण कुमार गरोडिया ने कहा कि भारत के इंजीनियरिंग निर्यात क्षेत्र के लिए पश्चिम एशिया तथा यूरोप दोनों प्रमुख बाजार हैं. इस स्तर का परिवहन बुनियादी ढांचा होने से वैश्विक स्तर पर इसकी प्रतिस्पर्धात्मकता में काफी वृद्धि होगी. गरोडिया ने कहा कि परिवर्तनकारी परियोजना में निवेश से आर्थिक गतिविधियों को काफी बढ़ावा मिलेगा, नौकरियों का सृजन होगा और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद मिलेगी. भारत ने अमेरिका तथा कई प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के साथ नौ सितंबर को महत्वाकांक्षी आर्थिक गलियारे की घोषणा की. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संपर्क पहल को बढ़ावा देते हुए सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान पर जोर दिया. जी-20 शिखर सम्मेलन से इतर अमेरिका, भारत, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूरोपीय संघ के नेताओं ने नए आर्थिक गलियारे की संयुक्त रूप से घोषणा की. इसे कई लोग चीन की ‘बेल्ट एंड रोड’ पहल के विकल्प के रूप में देख रहे हैं.
(भाषा इनपुट के साथ)
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