Manipur Violence: मणिपुर में हिंसा थमने का नाम ही नहीं ले रही है. सदन में सत्ता पक्ष और विपक्ष उलझे हुए हैं, तो मणिपुर हिंसा की आग में जल रहा है. गौरतलब है कि संसद का मानसून सत्र में भी मणिपुर मामले को लेकर जोरदार हंगामा हुआ. विपक्ष के हंगामे को देखते हुए लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही पहले 12 बजे फिर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई. इसके जब फिर सदन की कार्यवाही शुरु हुई तो विपक्ष के नेता नारेबाजी करने लगे. विपक्षी दल के सांसदों ने सदन से वॉकआउट भी किया. गौरतलब है कि मणिपुर हिंसा मामले को लेकर विपक्ष पीएम मोदी के बयान पर अड़ा है. जबकि, सत्ता पक्ष बार-बार अपील कर रहा है विपक्ष इस मुद्दे पर बहस करे.
बसों और घरों में लगाई गई आग
मणिपुर में कड़ी सुरक्षा के बीच जब शांति बहाल होने की कुछ आस लगती है तो अचानक से पूरा माहौल फिर बदल जाता है. जिससे हिंसा की आग फिर भड़कने लगती है. खबर है कि मणिपुर के मोरेह जिले में बुधवार को उपद्रवियों के एक समूह ने कई घरों में आग लगा दी. बताया जा रहा है कि ये घर खाली थे. सभी घर म्यांमा सीमा के करीब मोरेह बाजार क्षेत्र में थे. घटना को लेकर बताया जा रहा है कि आगजनी की घटना कांगपोकपी जिले में भीड़ की ओर से सुरक्षा बलों की दो बसों को आग लगाने के कुछ घंटों बाद हुई थी. हालांकि इस आगजनी में किसी के हताहत होने की कोई खबर नहीं है. बता दें, घटना सपोरमीना में उस समय हुई जब बसें मंगलवार शाम दीमापुर से आ रही थीं. मिली जानकारी के मुताबिक स्थानीय लोगों ने मणिपुर की पंजीकरण संख्या वाली बस को सपोरमीना में रोक लिया और कहा कि वे इस बात की जांच करेंगे कि बस में कहीं दूसरे समुदाय का कोई सदस्य तो नहीं है. जांच के दौरान ही लोगों ने बसों में आग लगा दी.
अविश्वास प्रस्ताव पेश करने की मिली मंजूरी
मणिपुर हिंसा मामले को लेकर विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया'(I-N-D-I-A) ने लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करेगा. लोकसभा में पार्टी के सचेतक मणिकम टैगोर ने कहा है कि यह अविश्वास प्रस्ताव सदन में पार्टी के उपनेता गौरव गोगोई पेश करेंगे. उन्होंने कहा कि मणिपुर मुद्दे पर सरकार का अहम तोड़ने और मणिपुर के मुद्दे पर बोलने के लिए पीएम मोदी को विवश करने के लिए यह विपक्ष का अहम हथियार है. टैगोर ने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष कार्यालय को इसको लेकर नोटिस दिया गया है. विपक्षी नेताओं का कहना है कि अविश्वास प्रस्ताव सरकार को मणिपुर पर लंबी चर्चा के लिए मजबूर करेगा.इसी कड़ी में आज यानी बुधवार को संयुक्त विपक्ष ‘इंडिया’ की तरफ से कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया है, इस नोटिस पर लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला ने अपनी अनुमति दे दी है.
अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की तिथि बाद में होगी तय
गौरतलब है कि संसद में जारी गतिरोध के बीच बुधवार को लोकसभा में मणिपुर हिंसा पर सरकार के खिलाफ संयुक्त विपक्ष की ओर से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को मंजूरी मिल गयी है. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि चर्चा की तिथि बाद में तय की जाएगी. ओम बिरला ने कहा कि वह सभी दलों के नेताओं से बातचीत करने के बाद इस पर चर्चा की तिथि के बारे में जानकारी देंगे. लोकसभा में शून्यकाल के दौरान बिरला ने कहा, मुझे सदन को सूचित करना है कि गौरव गोगोई से नियम 198 के तहत मंत्रिपरिषद में अविश्वास प्रस्ताव का अनुरोध प्राप्त हुआ है. इसके बाद गोगोई ने कहा, मैं निम्नलिखित प्रस्ताव के लिए सदन की अनुमति चाहता हूं-यह सभा मंत्रिपरिषद में विश्वास का अभाव प्रकट करती है. वहीं, लोकसभा अध्यक्ष ने इस प्रस्ताव की अनुमति देने का समर्थन करने वाले सदस्यों से खड़े होने के लिए कहा, इस पर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक और कई अन्य विपक्षी दलों के सदस्य खड़े होकर प्रस्ताव पर अपना समर्थन जताया.
विपक्ष की तुलना आतंकवादी समूह से करने के बाद हमसे सहयोग की उम्मीद- खरगे
इधर, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बुधवार को गृह मंत्री अमित शाह को लिखे जवाबी पत्र में सरकार की कथनी और करनी में अंतर होने का आरोप लगाया और कहा कि एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विपक्षी दलों की तुलना अंग्रेजों एवं आतंकवादी संगठन से करते हैं और दूसरी तरफ शाह विपक्ष से सकारात्मक रवैये की अपेक्षा रखते हैं. शाह ने मंगलवार को राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष खरगे और लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी को पत्र लिखकर कहा था कि वे मणिपुर के मुद्दे पर चर्चा में अमूल्य सहयोग दें. खरगे ने गृह मंत्री को लिखे पत्र में कहा, मुझे आपका 25 जुलाई को लिखा पत्र प्राप्त हुआ जो तथ्यों के विपरीत है. आपको ध्यान होगा कि मणिपुर में तीन मई के बाद की स्थिति पर विपक्षी गठबंधन इंडिया के घटक दलों की लगातार मांग रही है कि प्रधानमंत्री सदन में पहले अपना बयान दें जिसके बाद दोनों सदनों में इस विषय पर एक विस्तृत बहस और चर्चा की जाए.
कथनी और करनी में जमीन आसमान का अंतर
खरगे ने दावा किया कि आपके पत्र में व्यक्त भावनाओं की कथनी और करनी में जमीन और आसमान का अंतर है. सरकार का रवैया आपके पत्र के भाव के विपरीत सदन में असंवेदनशील और मनमाना रहा है. यह रवैया नया नहीं है बल्कि पिछले कई सत्रों में भी विपक्ष को देखने को मिला है. नियमों और परिपाटी को ताक पर रख कर विपक्ष को एक चाबुक से हांका जा रहा है. खरगे ने आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह के निलंबन का हवाला देते हुए कहा कि छोटी घटनाओं को तिल का ताड़ बनाकर माननीय सदस्य को पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया. राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष ने कहा, रोज नियम 267 के तहत विपक्षी सांसदों द्वारा बहस के लिए नोटिस दिया जाता है, परंतु सत्तापक्ष में बैठे लोग ही सदन की कार्रवाई को बाधित करते हैं. विपक्ष के नेता जब सभापति की अनुमति के बाद बोलने के लिए खड़े होते हैं तो स्वयं सदन के नेता बिना निवेदन और आसन की अनुमति के बिना बोलने के लिए खड़े होते हैं और कार्यवाही में बाधा डालते हैं.
सत्ता पक्ष और विपक्ष में समन्वय का अभाव- खरगे
खरगे ने विपक्षी गठबंधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टिप्पणी का हवाला देते हुए कहा एक ही दिन प्रधानमंत्री देश के विपक्षी दलों को अंग्रेज शासकों और आतंकवादी समूह से जोड़ते हैं और उसी दिन गृहमंत्री भावनात्मक पत्र लिखकर विपक्ष से सकारात्मक रवैये की अपेक्षा करते हैं. खरगे ने आरोप लगाया कि सत्ता पक्ष और विपक्ष में समन्वय का अभाव वर्षों से दिख रहा था, अब यह खाई सत्तापक्ष के अंदर भी दिखने लगी है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा विपक्षी दलों को दिशाहीन बताना बेतुका ही नहीं बल्कि दुर्भाग्यपूर्ण भी है. उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री जी से हम सदन में आकर बयान देने का आग्रह कर रहे हैं परंतु ऐसा लगता है कि इससे उनके सम्मान को ठेस पहुंचती है. हमारी इस देश की जनता के प्रति प्रतिबद्धता है और हम इसके लिए हर कीमत देंगे.
सदन में हुआ मेरा अपमान- खरगे
इधर लोकसभा की कार्यवाही स्थगित होने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि सदन में उनका अपमान हो रहा है. खरगे ने कहा कि उन्हें बोलने से रोका जा रहा है. सदन में उनका माइक बंद कर दिया गया ताकि आवाज सुनी ना जा सके. खरगे ने कहा कि यह सिर्फ उनका नहीं बल्कि जनता का अपमान है.