Manipur Violence : मणिपुर में हिंसा का दौर जारी है. बिष्णुपुर जिले के कांगवई और फौगाकचाओ इलाके में गुरुवार को हुई झड़प के बाद सेना और आरएएफ (त्वरित कार्य बल) जवानों ने आंसू गैस के गोले दागे, जिसमें 19 लोग घायल हो गये. अधिकारियों की ओर से यह जानकारी दी गयी है. इस बीच इंफाल पूर्व और इंफाल पश्चिम के जिलाधिकारियों ने भी कर्फ्यू में ढील वापस ले ली, एहतियात के तौर पर पूरे इंफाल घाटी में रात के कर्फ्यू के अलावा दिन के दौरान प्रतिबंध लगा दिया गया.
मणिपुर पुलिस ने ट्वीट किया कि पिछले 24 घंटों में पर्वतीय और घाटी दोनों क्षेत्रों में विभिन्न जिलों में 130 चौकियां स्थापित की गयी हैं और पुलिस ने विभिन्न उल्लंघनों के आरोप में 347 लोगों को हिरासत में लिया है. झड़प से कुछ घंटे पहले मणिपुर की जातीय हिंसा में मारे गये कुकी-जोमी समुदाय के लोगों को सामूहिक रूप से दफ़नाने की योजना तब रोक दी गयी जब राज्य के हाई कोर्ट ने गुरुवार सुबह चुराचांदपुर जिले में प्रस्तावित कब्रिस्तान पर यथास्थिति बनाये रखने का आदेश दिया था.
35 लोगों को दफनाने की योजना स्थगित
शीर्ष जनजातीय संस्था आईटीएलएफ ने भी कहा कि वह बिष्णुपुर की सीमा पर चुराचांदपुर जिले के हाओलाई खोपी गांव में उक्त स्थान पर 35 लोगों को दफनाने की योजना स्थगित कर रहा है. बिष्णुपुर जिले में गुरुवार सुबह से ही तनाव व्याप्त है, क्योंकि हजारों स्थानीय लोग सुरक्षा बलों की आवाजाही को रोकने के लिए सड़कों पर उतर आये हैं. महिलाओं के नेतृत्व में स्थानीय लोगों ने सेना और आरएएफ कर्मियों द्वारा लगाये गये अवरोधक को पार करने की कोशिश की और मांग की कि उन्हें कब्रिस्तान तुइबुओंग तक जाने की अनुमति दी जाए.
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कर्फ्यू फिर से लागू करने के अलग-अलग आदेश जारी
इंफाल पूर्व और पश्चिम के जिलाधिकारियों ने गड़बड़ी की आशंका के चलते दिन का कर्फ्यू फिर से लागू करने के अलग-अलग आदेश जारी किये. राज्य के कानून एवं विधायी कार्य मंत्री ठा. बसंतकुमार ने मीडिया से बात की और बताया कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने सभी संबंधित पक्षों से शांति और सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने की अपील की है. राज्य के मंत्री ने केंद्रीय मंत्री के पत्र का हवाला देते हुए कहा कि भारत सरकार ने मणिपुर में जातीय हिंसा में मारे गये लोगों के शवों के अंतिम संस्कार के मुद्दे पर विचार किया है और आश्वासन दिया है कि वह एक निश्चित अवधि के भीतर सात दिन में सभी पक्षों की संतुष्टि के लिए इस मुद्दे को सौहार्दपूर्ण ढंग से हल करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी.
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मणिपुर हिंसा में अबतक 160 लोगों की मौत
यहां चर्चा कर दें कि मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मैतेई समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में तीन मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. राज्य में मैतेई समुदाय की आबादी करीब 53 प्रतिशत है. वे मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं. वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की आबादी 40 प्रतिशत है और वे अधिकतर पर्वतीय जिलों में रहते हैं.