14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Uttarkashi Tunnel Collapse: नहीं शुरू हो पाई वर्टिकल ड्रिलिंग, जानें क्यों बार-बार फेल हो रहा है अभियान

Uttarkashi Tunnel Collapse: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों के रेस्क्यू के लिए इस्तेमाल की जा रही ऑगर मशीन फिर खराब हो गई है. बचाव दल लंबवत और हाथ से ड्रिलिंग सहित अन्य कई विकल्पों पर विचार कर रहे हैं.

Uttarkashi Tunnel Collapse: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को बचाने के लिए जिस ऑगर मशीन से ‘ड्रिल’ की जा रही थी, वह खराब हो गई है. वहीं, अंतरराष्ट्रीय सुरंग विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स ने इसपर कहा है कि बचाव दल लंबवत और हाथ से ‘ड्रिलिंग’ सहित अन्य विकल्पों पर विचार कर रहे हैं. डिक्स ने सिलक्यारा में मीडिया से बात करते हुए कहा कि ऑगर टूट गई है, क्षतिग्रस्त हो गई है. पिछले कुछ दिन से ऑगर मशीन से ‘ड्रिल’ करने के दौरान लगातार बाधाएं आ रही थीं. जब उनसे हाथ से अथवा लम्बवत ‘ड्रिल’ करने जैसे अन्य विकल्पों के बारे में पूछा गया तो डिक्स ने कहा कि सभी विकल्पों पर विचार किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि हम जो भी विकल्प अपना रहे हैं उसके अपने फायदे और नुकसान हैं. हमें बचावकर्ताओं की तथा श्रमिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी है. उन्होंने कहा कि फंसे हुए लोगों और बचावकर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना अभियान में लगी कई एजेंसियों का लक्ष्य है.

41 मजदूर अब भी फंसे

सुरंग विशेषज्ञ ने कहा कि उनकी बेटी भी एक खनिक है और उनका दिल फंसे हुए श्रमिकों के साथ है. चारधाम यात्रा मार्ग पर बन रही सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को ढह गया था, जिससे उसमें काम कर रहे 41 श्रमिक फंस गए थे. तब से विभिन्न एजेंसियां उन्हें बाहर निकालने के लिए युद्धस्तर पर बचाव अभियान चला रही हैं. श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए सुरंग के ढहे हिस्से में की जा रही ‘ड्रिलिंग’ शुक्रवार रात पुन: रोकनी पड़ी थी. शुक्रवार को कुछ देर की ‘ड्रिलिंग’ से पहले 800 मिलीमीटर चौड़े इस्पात के पाइप का 46.8 मीटर हिस्सा ड्रिल किए गए मार्ग में धकेल दिया गया था. सुरंग के ढहे हिस्से की लंबाई करीब 60 मीटर है.

लंबवत बचाव मार्ग बनाने का हो रहा प्रयास

श्रमिकों तक भोजन एवं अन्य आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के लिए छह इंच चौथे ट्यूब को 57 मीटर तक पहुंचा दिया गया है. एक अधिकारी ने बताया कि एक के बाद एक बाधाओं के कारण ऑगर मशीन के जरिये मलबे के रास्ते से स्टील पाइप डालने के लिए क्षैतिज ‘ड्रिलिंग’ का काम रुक रहा है. उन्होंने कहा कि 10 से 12 मीटर के शेष हिस्से के लिए हाथ से ‘ड्रिलिंग’ के विकल्प पर विचार किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि हाथ से ‘ड्रिलिंग’ के काम में अधिक समय लगता है. अधिकारियों ने बताया कि एक लंबवत बचाव मार्ग बनाने के भी प्रयास किए जा रहे हैं. शनिवार की सुबह एक बड़ी ‘ड्रिलिंग’ मशीन को सुरंग के ऊपर पहाड़ी की ओर ले जाया गया, जहां लंबवत ड्रिलिंग के लिए विशेषज्ञों ने सबसे कम ऊंचाई वाले दो स्थानों की पहचान की है.

सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने सुरंग के ऊपर तक 1.5 किलोमीटर लंबी सड़क पहले ही बना दी है, क्योंकि लंबवत ड्रिलिंग पर कुछ समय पहले से ही विचार किया जा रहा है. अंतरराष्ट्रीय सुरंग विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स ने कुछ दिन पहले कहा था कि लंबवत ड्रिलिंग अधिक समय लेने वाला और जटिल विकल्प है, जिसके लिए सुरंग के ऊपरी हिस्से पर अपेक्षाकृत संकीर्ण जगह के कारण अधिक सटीकता और सावधानी बरतने की आवश्कयता होती है.

बार-बार रुक जा रही है ड्रिलिंग

सुरंग में फंसे श्रमिकों के परिजन मशीन से ड्रिलिंग में बार-बार बाधा आने और वांछित प्रगति नहीं मिल पाने के कारण धीरे-धीरे धैर्य खो रहे हैं. बिहार के बांका निवासी देवेंद्र किस्कू का भाई वीरेंद्र किस्कू सुरंग में फंसे श्रमिकों में शामिल है.देवेंद्र ने निराशा व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘अधिकारी पिछले दो दिन से हमें भरोसा दिला रहे हैं कि उन्हें (फंसे हुए श्रमिकों को) जल्द ही बाहर निकाल लिया जाएगा, लेकिन कुछ ना कुछ ऐसा हो जाता है, जिससे प्रक्रिया में देर हो जाती है.

Also Read: Rajasthan Polls 2023: फतेहपुर शेखावाटी में दो गुटों में तनाव के बाद पथराव, भारी संख्या में पुलिस बल तैनात

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें