Monsoon 2024 : झुलसाती गर्मी के बीच राहत की खबर, केरल में मॉनसून ने दी दस्तक, अब होगी झमाझम बारिश

Monsoon 2024: देश के कई राज्यों में भीषण गर्मी पड़ रही है. इस बीच मौसम विभाग की ओर से जानकारी दी गई है कि दक्षिण पश्चिम मॉनसून पूर्वानुमान से एक दिन पहले यानी 30 मई को केरल तट पर पहुंच चुका है.

By Agency | May 30, 2024 11:40 AM
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Monsoon 2024: पूरा उत्तर भारत भीषण गर्मी की चपेट में है जिससे लोग परेशान हैं. ऐसा लग रहा है कि आसमान से आग बरस रही है. इस बीच मॉनसून को लेकर अच्छी खबर आ रही है. दक्षिण पश्चिम मॉनसून पूर्वानुमान से एक दिन पहले यानी 30 मई को केरल तट पर पहुंच गया है. मौसम विभाग ने बताया कि दक्षिण-पश्चिम मानसून ने केरल में दस्तक दी, पूर्वोत्तर भारत के अधिकांश हिस्सों की ओर बढ़ गया है.

इससे पहले बुधवार को मौसम विभाग की ओर से जानकारी दी गई कि अगले 24 घंटों के दौरान केरल में दक्षिण-पश्चिम मानसून के आगमन के लिए परिस्थितियां अनुकूल नजर आ रहीं हैं. इससे पहले मौसम कार्यालय ने पिछले दिनों केरल में 31 मई तक मानसून के दस्तक देने का अनुमान व्यक्त किया था. मौसम वैज्ञानिकों ने बताया कि रविवार को पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश से गुजरे चक्रवात रेमल ने मानसून के प्रवाह को बंगाल की खाड़ी की ओर खींचने का काम किया है. यह पूर्वोत्तर में मॉनसून के जल्दी आने की एक वजह हो सकती है.

क्या मॉनसून के आगे बढ़ने के लिए परिस्थितियां हैं अनुकूल?

मौसम विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो, केरल में पिछले कुछ दिन से भारी बारिश का दौर जारी है. यहां मई में सामान्य से अधिक बारिश रिकॉर्ड की गई. अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, नगालैंड के साथ-साथ मेघालय, मिजोरम, मणिपुर और असम में मॉनसून के पहुंचने की सामान्य तारीख 5 जून है. मौसम विभाग की ओर से बताया गया है कि, इस अवधि के दौरान दक्षिण अरब सागर के कुछ और हिस्सों, लक्षद्वीप के शेष हिस्सों, दक्षिण-पश्चिम के अलावा मध्य बंगाल की खाड़ी, उत्तर-पूर्वी बंगाल की खाड़ी और पूर्वोत्तर राज्यों के कुछ हिस्सों में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के आगे बढ़ने के लिए परिस्थितियां अनुकूल दिख रही है.

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आईएमडी केरल में मानसून के आगमन की घोषणा कब करता है?

आईएमडी केरल में मानसून के आगमन की घोषणा तब करता है, जब 10 मई के बाद किसी भी समय केरल के 14 केंद्रों और पड़ोसी क्षेत्रों में लगातार दो दिनों तक 2.5 मिमी या उससे अधिक वर्षा होती है, आउटगोइंग लॉन्गवेव रेडिएशन (ओएलआर) कम होता है और हवाओं की दिशा दक्षिण-पश्चिमी की ओर होती है.

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