भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के निवर्तमान अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह के करीबी उत्तर प्रदेश के संजय सिंह सहित चार उम्मीदवारों ने सोमवार को यहां ओलंपिक भवन में डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष पद के लिए नामांकन भरे. बृज भूषण गुट से चंडीगढ़ कुश्ती इकाई के दर्शन लाल ने महासचिव पद के लिए नामांकन भरा जबकि उत्तराखंड के एसपी देसवाल कोषाध्यक्ष पद के लिए चुनौती पेश करेंगे. बृज भूषण गुट ने 25 राज्य इकाइयों में से 22 के समर्थन का दावा किया है और नामांकन भरने के बाद ‘भरोसा’ जताया कि 12 अगस्त को डब्ल्यूएफआई चुनावों में वे सभी 15 पद पर जीत दर्ज करेंगे.
ओलंपिक भवन में व्यस्त दिन में बृज भूषण शरण सिंह गुट के नामितों और समर्थकों का काफिला भारतीय जनता पार्टी के इस नेता के ‘आशीर्वाद’ के साथ पहुंचा. इन लोगों ने डब्ल्यूएफआई चुनावों के निर्वाचन अधिकारी जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश महेश मित्तल कुमार के समक्ष नामांकन दाखिल किए. नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख सात अगस्त है.
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न्यायमूर्ति महेश मित्तल कुमार ने कहा, ‘अध्यक्ष पद के लिए चार उम्मीदवार हैं. वरिष्ठ उपाध्यक्ष पद के लिए तीन, उपाध्यक्ष के लिए छह, महासचिव के लिए तीन, कोषाध्यक्ष के लिए दो, संयुक्त सचिव के लिए तीन और कार्यकारी सदस्यों के लिए नौ उम्मीदवार मैदान में हैं. 15 पद के लिए 30 लोगों ने नामांकन भरा है.’ उन्होंने कहा, ‘कल हम उन सभी उम्मीदवारों की सूची जारी करेंगे जिनके नामांकन पत्र सही होंगे. इसे कल डब्ल्यूएफआई की वेबसाइट पर डाला जाएगा. एक महिला भी है (अध्यक्ष पद की उम्मीदवार).’
डब्ल्यूएफआई की कार्यकारी समिति के सदस्यों की सूची में एकमात्र महिला उम्मीदवार अनीता श्योराण हैं जो ओडिशा का प्रतिनिधित्व कर रही हैं. अनीता बृज भूषण के खिलाफ यौन उत्पीड़न के मामले में गवाहों में से एक हैं. बृज भूषण गुट ने डब्ल्यूएफआई के 15 पद के लिए 18 नामांकन भरे हैं. भारतीय जनता पार्टी के नेता बृज भूषण ने सोमवार को पांच सितारा होटल में एक और दौर की बैठक की जिसके बाद उनके गुट के उम्मीदवारों और समर्थकों का काफिला दोपहर बाद सबसे पहले ओलंपिक भवन पहुंचा.
नामांकन दाखिल करने का समय खत्म होने में जब 45 मिनट से भी कम का समय बचा था और बृज भूषण गुट अपनी औपचारिकतांए पूरी कर चुका था तब अनीता, रेलवे खेल संवर्धन बोर्ड (आरएसपीबी) के सचिव प्रेम चंद लोचब (गुजरात के प्रतिनिधि), दुष्यंत शर्मा (जम्मू-कश्मीर इकाई) और कुछ अन्य पहुंचे और नामांकन दाखिल करने के बाद मीडिया से बात किए बगैर वापस लौट गए. ‘सर्वसम्मत उम्मीदवारों’ की सूची तैयार करने के लिए पिछले दो दिन से राज्य इकाइयों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर रहे बृज भूषण उम्मीदवारों के साथ ओलंपिक भवन नहीं गए.
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बृज भूषण के दामाद विशाल सिंह (बिहार कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष) नामांकन भरने में मदद के लिए उम्मीदवारों के साथ गए.। वह किसी भी पद के लिए उम्मीदवारी पेश नहीं कर रहे. विशाल ने कहा, ‘हमारी तरफ से 18 नामांकन दाखिल किए गए हैं. अध्यक्ष पद के लिए हमारे उम्मीदवार संजय कुमार सिंह हैं. हमने तीन उपाध्यक्ष पद के लिए नामांकन भरा है.’ दो दिन बैठक करने के बाद बृज भूषण उम्मीदवारों के साथ क्यों नहीं आए यह पूछने पर विशाल ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि उनके आने की कोई जरूरत थी. उनका नाम मतदाता सूची में नहीं है.’
उन्होंने कहा, ‘उनको आने की जरूरत नहीं थी लेकिन हम सभी उनका समर्थन कर रहे हैं. हम सभी उनके लिए यहां हैं. उनके नेतृत्व में डब्ल्यूएफआई ने शानदार काम किया है. और हम उम्मीद करते हैं कि जो भी आएगा वह उनके अच्छे काम को आगे बढ़ाएगा.’ यह पूछने पर कि क्या 22 राज्य इकाइयां बृज भूषण गुट का समर्थन कर रही हैं, विशाल ने कहा, ‘मेरा ऐसा मानना है. हमें पूरा विश्वास है (चुनाव जीतने का). अगर आप लोगों को देखें तो अधिकतर लोग हमारे साथ आए थे.’
सुबह बृज भूषण ने दोहराया था कि उनके परिवार का कोई सदस्य डब्ल्यूएफआई चुनाव में दावेदारी पेश नहीं करेगा. उनका बेटा करण पहले ही दौड़ से हट चुका है जबकि दामाद विशाल ने भी रविवार को कहा कि वह किसी पद के लिए दावेदारी पेश नहीं करेंगे. उम्मीदवारों और समर्थकों के ओलंपिक भवन के लिए रवाना होने से पहले बृज भूषण ने अपने आवास पर कहा, ‘आज नामांकन का अंतिम दिन है, 22 राज्य संघों के सदस्य यहां थे और वे मेरे से मिलने आए थे और अब अपना नामांकन दाखिल करने जा रहे हैं.’
उन्होंने कहा, ‘पहले चुनाव होने दीजिए और फिर जो भी जीतेगा वह अपना काम करेगा.’ ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पूनिया और साक्षी मलिक तथा एशियाई खेलों की स्वर्ण पदक विजेता विनेश फोगाट सहित देश के शीर्ष छह पहलवानों ने बृज भूषण पर कथित रूप से यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे और जंतर-मंतर पर धरना-प्रदर्शन भी किया था. बृज भूषण हालांकि चुनाव लड़ने के पात्र नहीं हैं क्योंकि वह राष्ट्रीय महासंघ के प्रमुख के तौर पर 12 साल पूरे कर चुके हैं जो राष्ट्रीय खेल संहिता के तहत पद पर बने रहने के लिए अधिकतम समय है.