Agra News: पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर की पत्नी और आरटीआई एक्टिविस्ट नूतन ठाकुर का आगरा में बना हुआ ड्राइविंग लाइसेंस फर्जी निकला. जिसके बाद आगरा मंडल में फर्जी लाइसेंस बनाने का यह गोरखधंधा फिर से सुर्खियों में आ गया. आगरा मंडल के आगरा सहित कई जिलों में बड़ी संख्या में फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस बनाए जाते हैं. वहीं आपको बता दें कुछ समय पहले मुंबई हमले में पकड़े गए आतंकवादी अजमल कसाब का ड्राइविंग लाइसेंस भी आगरा मंडल के मथुरा जिले में ही बना था. नूतन ठाकुर ने फर्जी लाइसेंस के मामले में जिम्मेदार लोगों पर एफआईआर करने की मांग की है.
दरअसल आपको बता दें आरटीआई एक्टिविस्ट नूतन ठाकुर ने अपना ड्राइविंग लाइसेंस रिन्यू कराने के लिए आगरा के आरटीओ विभाग में आवेदन किया था. जिसमें जानकारी मिली कि वह जिस लाइसेंस को रिन्यू कराना चाह रही है, वह फर्जी है. इसके बाद आरटीआई एक्टिविस्ट ने इस मामले को गंभीरता से लिया और फर्जी लाइसेंस बनाने में जो लोग जिम्मेदार है. उनके ऊपर एफ आई आर की मांग की है.
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आपको बता दें आगरा मंडल में आने वाले मथुरा जिले के आरटीओ कार्यालय से 20 जून 2009 को आतंकी कसाब का फोटो लगा हुआ लाइसेंस जारी हुआ था. यह लाइसेंस मथुरा के कृष्णा नगर के एक व्यक्ति के पते पर बना था. वहीं दूसरी तरफ दिल्ली पुलिस में फर्जी डीएल के सहारे ही कई सिपाही भर्ती हुए थे. जब जांच में यह मामला सामने आया तो उन सभी सिपाहियों को निलंबित कर दिया गया. दिल्ली पुलिस में वर्ष 2007 में चालक पद पर भर्ती हुए 81 सिपाहियों के डीएल जांच में फर्जी पाए गए थे. यह सभी ड्राइविंग लाइसेंस मथुरा से बने थे. इसके अलावा एक मृत व्यक्ति का भी फर्जी डीएल बना दिया गया था.
एक्टिवेट डॉ नूतन ठाकुर के फर्जी लाइसेंस की खबर सामने आने के बाद आगरा आरटीओ कार्यालय में उनका रिकॉर्ड फिर तलाश करवाया गया. लाइसेंस पर दर्ज रिकॉर्ड किसी दूसरे व्यक्ति के नाम पर है. इसके अलावा सब्सिडी कैश बुक में भी डॉ नूतन ठाकुर के नाम फॉर्म नंबर 7 की ₹200 की फीस जमा होने का रिकॉर्ड नहीं मिला.
आपको बता दें आगरा सहित आसपास के जिलों में फर्जी लाइसेंस बनाने का गोरखधंधा जोर शोरों से चलता है. कई बार इसको लेकर कार्रवाई भी हो चुकी है लेकिन सब कुछ ढाक के तीन पात है. कार्रवाई के कुछ दिन तक दलाल गायब हो जाते हैं लेकिन उस समय बीतने के बाद फिर से वह इस गोरखधंधे में लग जाते हैं. और लोगों के फर्जी लाइसेंस बनाने लग जाते हैं. शुरुआत में लोगों को इस बारे में जानकारी नहीं मिलती लेकिन जब वह अपने लाइसेंस को रिन्यू कराने आते हैं. तब उन्हें पता चलता है कि जिस लाइसेंस के सहारे वे वहां चला रहे थे वह फर्जी है.