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देश में जूता उद्योग को गति देने की तरफ बड़ा कदम, आगरा में दो दिवसीय शू कंपोनेंट एग्जीबिशन का आयोजन

देश के जूता उद्योग को गति देने के लिए इंडियन फुटवियर कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन द्वारा फुटवियर कंपोनेंट एग्जिबिशन शू टेक 54 वें और आगरा के आठवें संस्करण का दो दिवसीय आयोजन होटल मधुश्री रिसोर्ट में किया गया.

आगरा. देश के जूता उद्योग को गति देने के लिए इंडियन फुटवियर कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन द्वारा फुटवियर कंपोनेंट एग्जिबिशन शू टेक 54 वें और आगरा के आठवें संस्करण का दो दिवसीय आयोजन होटल मधुश्री रिसोर्ट में किया गया. शु कंपोनेंट इंडस्ट्री चीन को पीछे छोड़ कर आत्मनिर्भर बनने की राह पर निकल पड़ी है. जल्द ही भारत में सभी शू कंपोनेंट बनाए जाएंगे. आगरा में चल रही दो दिवसीय शू टेक 2023 में देश भर की शू कंपोनेंट बनाने वाली कंपनी आई हैं. जो एक दूसरे के साथ नई तकनीक को साझा कर रही है.

दो दिवसीय फुटवियर कंपोनेंट एग्जिबिशन का आयोजन

एफमेक के अध्यक्ष पूरण डावर ने कंपोनेंट फुटवियर एग्जिबिशन में बताया कि कंपोनेंट जूता उत्पादन की मुख्य कड़ी है. ऐसे में इफकोमा कि यह एग्जिबिशन जूता कारोबारियों के लिए वरदान साबित होगी. शू टेक आगरा के आठवें संस्करण में हर साल की तरह जूता उत्पादन में इस्तेमाल होने वाले सभी कंपोनेंट्स को एक छत के नीचे प्रदर्शित किया जा रहा है. खास बात यह है कि आयोजन बायर सेलर को सीधे एक दूसरे से जुड़ने का मौका देता है. जिससे दोनों के पारस्परिक संवाद से भविष्य के कारोबार की बुनियाद खड़ी होती है.

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लेदर सेक्टर को मिलेगी ग्रोथ

सीएलई के चेयरमैन संजय लीखा ने बताया कि भारत में दुनिया की टेनरी का लगभग 3 बिलियन वर्ग फुट हिस्सा है. देश में लगभग 7000 लघु उद्योग इकाइयां फुटवियर क्षेत्र से जुड़ी हुई हैं जो देश की अर्थव्यवस्था और विदेशी मुद्रा आए के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. लगभग 40 फ़ीसदी महिलाएं क्षेत्र में काम कर रही हैं. जब 1000 जोड़ी जूते बनकर बेचे जाते हैं तब इस पूरी प्रक्रिया में एक अनुमान के अनुसार लगभग 425 लोगों को रोजगार मिलता है. लेदर सेक्टर की ग्रोथ को लेकर हम पूरी तरह से समर्पित हैं. वहीं उन्होंने कहा कि अभी जूता बनाने में 50 तरह के छोटे बड़े कंपोनेंट्स का इस्तेमाल होता है. इसमें 30% कंपोनेंट का भारत में निर्माण किया जा रहा है और 70% कंप्लेंट चीन से आयात होता है. भारत सरकार के मेक इन इंडिया के तहत अब चाइना से आने वाले कॉम्लोनेंट को भारत में तैयार करने की शुरुआत हो रही है. इससे इंडस्ट्री को फायदा होगा साथ ही जो शू इंडस्ट्री चीन पर निर्भर है वह भी खत्म होगी.

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