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जामा मस्जिद मामले में देवकीनंदन ठाकुर की याचिका पर आज सुनवाई, सीढ़ियों के नीचे श्रीकृष्ण की मूर्ति होने का दावा

आगरा में बिजली घर के पास शाही जामा मस्जिद है. इतिहासकारों के मुताबिक इस मस्जिद को शाहजहां की सबसे प्यारी बेटी जहांआरा ने बनवाया था. देवकीनंदन ठाकुर का दावा है कि इसकी सीढ़ियों के नीचे भगवान केशवदेव मंदिर की मूर्तियां हैं. औरंगजेब ने मंदिर को तोड़ कर उस स्थान पर मस्जिद बनवा दी थी.

Agra: उत्तर प्रदेश में आगरा की जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे श्रीकृष्ण की मूर्ति दबी होने के मामले में मंगलवार को होने वाली सुनवाई पर सभी की नजरें टिकी हैं. श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट के संरक्षक एवं कथा व्यास देवकीनंदन महाराज ने आगरा के न्यायालय में इस मामले में वाद दायर किया है.

इसमें मथुरा के केशवदेव मंदिर की मूर्तियों को आगरा की शाही जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबा बताते हुए इन्हें निकलवाने की मांग की है. याचिका में बीते सप्ताह सुनवाई के दौरान दूसरा पक्ष कोर्ट में हाजिर नहीं हुआ. इस पर कोर्ट ने मामले में सुनवाई के लिए 18 जुलाई की तारीख तय की. वादी पक्ष की ओर से नोटिस तामील कराने के लिए स्पेशल मैसेंजर भेजने का प्रार्थना पत्र दिया गया.

कथा वाचक देवकीनंदन महाराज की याचिका पर अदालत ने इस्लामियां लोकल एजेंसी, यूपी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, लखनऊ सहित सभी पक्षों को नोटिस देकर जवाब दाखिल करने के आदेश दिए हैं.

देवकीनंदन महाराज ने बताया कि उन्होंने ट्रस्ट की ओर से न्यायालय सिविल जज (प्रवर खण्ड), आगरा के समक्ष वाद संख्या 518/23 दायर किया है. इसमें न्यायालय से आगरा स्थित मस्जिद (जहांआरा बेगम मस्जिद) की सीढ़ियों में दबाए गए भगवान केशवदेव के विग्रहों को वापस दिलवाने की प्रार्थना की है.

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इसे स्वीकार करते हुए कोर्ट ने सचिव, इंतजामिया कमेटी शाही मस्जिद आगरा फोर्ट, छोटी मस्जिद, दीवान ए खास जहांआरा बेगम मस्जिद आगरा फोर्ट, अध्यक्ष यूपी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, लखनऊ एवं सचिव, श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान को नोटिस भेजे, जिसमें सभी से अपना पक्ष रखने को कहा जा चुका है. कोर्ट ने इसे लेकर 31 मई की तारीख दी थी. मगर, उस तारीख पर कोई नहीं आया. इसके बाद दोबारा नोटिस भेजते हुए 11 जुलाई की तारीख लगाई गई. इसके बाद फिर 18 जुलाई की तारीख तय की.

कथा वाचक देवकीनंदन ठाकुर का दावा है कि आगरा की जामा मस्जिद में जो सीढ़ियां बनी हैं, उनके नीचे भगवान केशवदेव मंदिर की मूर्तियां हैं. उन्होंने इतिहास की पुस्तकों का हवाला देकर बताया कि वर्ष 1670 में मुगल शासक औरंगजेब ने मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर ठाकुर केशव देव मंदिर को तोड़ कर उस स्थान पर मस्जिद बनवा दी थी.

उनका दावा है कि मूर्तियों को आगरा स्थित जहांआरा बेगम मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबा दिया गया. मुस्लिम लोग इन सीढ़ियों पर चढ़कर मस्जिद में जाते हैं. पवित्र मूर्तियां आज भी उनके पैरों के नीचे रौंदी जा रही हैं.

ट्रस्ट के अधिवक्ता विनोद कुमार शुक्ला ने बताया कि जामा मस्जिद सहित अन्य पक्षों को पिछली तारीख पर कोर्ट की ओर से नोटिस भेजे गए थे. मगर, इसके बाद भी किसी पक्ष ने नोटिस तामील नहीं किए. उनका मानना है कि जानबूझ कर नोटिस तामील न करते हुए कोर्ट में हाजिर नहीं हुआ जा रहा है.

इस कारण से ठोस निर्णय करने में देरी हो रही है. उनकी ओर से कोर्ट को नोटिस तामील कराने के लिए स्पेशल मैसेंजर भेजने का प्रार्थना पत्र दिया गया है. कोर्ट ने इस पर आदेश सुरक्षित रख लिया है. 18 जुलाई को सुनवाई होने जा रही है.

आगरा में बिजली घर के पास शाही जामा मस्जिद है. इतिहासकारों के मुताबिक इस मस्जिद को शहंशाह शाहजहां की सबसे प्यारी बेटी जहांआरा ने बनवाया था. जब मुमताज की मौत हुई थी, उस समय जहांआरा महज 17 साल थी. मुमताज की मौत के बाद शाहजहां ने अपनी आधी संपत्ति जहांआरा को दी और बाकी की संपत्ति अन्य बच्चों में बांटी थी. जहांआरा उस समय की सबसे अमीर शहजादी थी. उसे तब करीब दो करोड़ रुपए का सालाना खर्च मिलता था.

जहांआरा ने अपनी इस धनराशि से सन 1643 से 1648 के बीच जामा मस्जिद का निर्माण कराया था. जामा मस्जिद 271 फीट लंबी और 270 फीट चौड़ी है. जिसमें करीब पांच लाख रुपए खर्च हुए थे. जामा मस्जिद लाल बलुआ पत्थर से बनी है. इसकी दीवार में लगी टाइल्स की आकृति ज्यामितीय है. जामा मस्जिद में एक साथ 10 हजार लोग नमाज पढ़ सकते हैं. भारत पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की संरक्षित स्मारक में जामा मस्जिद शामिल है.

कुछ इतिहासकारों का मानना है कि 16वीं शताब्दी के सातवें दशक में मुगल बादशाह औरंगजेब ने मथुरा के केशवदेव मंदिर को ध्वस्त कराया था. केशवदेव मंदिर की मूर्तियों को जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबा दिया गया था. इसका जिक्र तमाम इतिहासकारों ने अपनी पुस्तकों में किया है. सन 1940 में एसआर शर्मा ने ‘भारत में मुगल समराज’ नाम से किताब लिखी थी, इसमें मूर्तियों को जामा मस्जिद की सीढ़ियों के दबाए जाने का विस्तृत रूप से जिक्र किया गया है.

इसके अलावा औरंगजेब के सहायक रहे मुहम्मद साकी मुस्तइद्दखां ने अपनी पुस्तक ‘मआसिर-ए-आलमगीरी में फारसी भाषा में इस घटनाक्रम का उल्लेख किया है. भारत के प्रसिद्ध इतिहासकार जदुनाथ सरकार की पुस्तक ए शार्ट हिस्ट्री ऑफ औरंगजेब में भी इस घटना का जिक्र मिलता है. इसके अलावा विदेशी लेखक फ्रेंकोस गौटियर की पुस्तक औरंगजेब आइकोनोलिज्म में भी इस घटना का जिक्र है.

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