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मैनपुरी: गलत इंजेक्‍शन से छात्रा की मौत, बाइक पर भेजा शव, वीडियो वायरल होने पर अस्पताल सील, लाइसेंस न‍िलंब‍ित

मनीषा ने बताया कि रात को भतीजी की तबीयत ठीक हो गई थी और सुबह भी वह ठीक थी. इसके बाद स्टाफ नर्स ने उसको इंजेक्शन लगाया उसकी तबीयत बिगड़ने लगी. परिजनों का आरोप है कि उन्होंने अस्पताल के स्टॉफ से कहा ​कि बेटी तड़प रही है. लेकिन, किसी ने नहीं सुना. वहीं थोड़ी देर बाद भतीजी ने दम तोड़ दिया.

Mainpuri News: उत्तर प्रदेश में मैनपुरी जिले से सामने आए एक वीडियो ने जहां एक तरफ इंसानियत को शर्मशार कर दिया. वहीं दूसरी तरफ समाज को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि आखिर लोग रुपए के लिए कहां तक गिर सकते हैं. जो वीडियो सामने आया उसमें एक परिवार के लोग प्राइवेट अस्पताल के बाहर 17 साल की छात्रा का शव बाइक पर रख रहे हैं. और रोते भी जा रहे हैं. बताया गया कि गलत इंजेक्शन लगाने की वजह से छात्रा की मौत हो गई थी. इसके बाद अस्पताल के स्टाफ ने छात्रा के शव को अस्पताल से बाहर फेंक दिया और परिजनों को भगा दिया. इस वीडियो का संज्ञान लेकर डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कार्रवाई के निर्देश दिए. इसके बाद मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने अस्‍पताल का लाइसेंस निरस्‍त करके हुए उसे सील कर दिया है. इसके साथ ही डॉक्‍टर और संचालकों को तीन दिन के भीतर जरूरी दस्‍तावेजों समेत हाजिर होने को कहा है.

बताया जा रहा है कि थाना घिरोर क्षेत्र के गांव ओए निवासी मनीषा ने बताया कि उसकी भतीजी भारती 12वीं की छात्रा है. मंगलवार को अचानक उसकी तबीयत खराब हो गई थी और उसे तेज बुखार आ गया था. इसके बाद उसे करहल रोड पर संचालित राधा स्वामी अस्पताल में भर्ती कराया. डॉक्टर ने बताया कि उसके सिर पर बुखार चढ़ गया है, जिसका इलाज काफी महंगा होगा. वहीं मनीषा ने बताया कि इलाज के लिए अस्पताल के डॉक्टर ने उन लोगों से 20 हजार रुपए जमा करा लिए. इसके अलावा दवाई के नाम पर 1100 रुपए लिए गए. मनीषा ने बताया कि रात को भतीजी की तबीयत ठीक हो गई थी और सुबह भी वह ठीक थी. बातचीत भी कर रही थी. इसके बाद बुधवार की सुबह 11:00 बजे जैसे ही स्टाफ नर्स ने उसको इंजेक्शन लगाया उसकी तबीयत बिगड़ने लगी. परिजनों का आरोप है कि उन्होंने अस्पताल के स्टॉफ से कहा ​कि बेटी तड़प रही है. लेकिन, किसी ने नहीं सुना. वहीं थोड़ी देर बाद भतीजी ने दम तोड़ दिया.

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मनीषा ने बताया की भतीजी की मौत होने के बाद अस्पताल के स्टाफ ने उसके शव को अस्पताल के बाहर फेंक दिया. हमने जब शव वाहन के लिए अस्पताल के डॉक्टर से कहा तो डॉक्टर बोला कि इसे यहां से ले जाओ. इसके बाद हमने अपनी भतीजी के शव को बाइक पर रख लिया.

मौके पर मौजूद किसी शख्स ने अस्पताल डॉक्टर और स्टाफ की इस संवेदनहीनता का वीडियो बना लिया और उसे सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया. घटना के बाद अस्पताल से बाहर निकले डॉक्टर से जब भारती के परिजनों ने बात करने की कोशिश की तो डॉक्टर हंगामा बढ़ते देख वहां से फरार हो गया. इसके बाद रोते बिलखते घर वालों ने निजी वाहन बुलाकर शव को उसमें रखवाया और घर ले गए.

इस घटना का हृदय विदारक वीडियो किसी ने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर पोस्ट कर दिया. इसके बाद डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने इस वीडियो का संज्ञान लिया और मामले पर कार्रवाई के निर्देश दिए.

मुख्य चिकित्सा अधिकारी आरसी गुप्ता ने बताया कि उन्हें मीडिया से इसकी जानकारी हुई थी. इसके बाद उन्होंने नोडल झोला छाप डॉक्टर अजय कुमार को मौके पर भेजा. वहां अस्पताल संचालक और कोई चिकित्सक नहीं मिला. अस्पताल में एक मरीज मिला था जिनका ऑपरेशन हुआ था उसको नजदीकी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया दिया गया. हॉस्पिटल को सील कर दिया गया है. हॉस्पिटल रजिस्टर्ड था और डॉक्‍टर की डिग्री लगी हुई थी. लेकिन, अस्पताल संचालक कोई डॉक्टर नहीं था इसलिए लाइसेंस निरस्त कर दिया गया. उन्‍हें दिन में संबंधित अस्पताल और संबंधित इलाज के प्रपत्र लाने के लिए निर्देशित किया गया है.

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