जम्मू-कश्मीर के राजौरी में शहीद हुए आगरा के लाल कैप्टन शुभम गुप्ता ने शुरू से ही कुछ बड़ा करने की मन में ठान रखी थी. हालांकि उन्होंने कभी अपने घरवालों से इस बात का जिक्र नहीं किया. लेकिन शुभम ने हमेशा से ही मुश्किल राह चुनी. शुभम की उम्र 27 साल थी लेकिन हौसलों में आसमान जैसी बुलंदी थी. पिता के वकालत में होने के चलते शुभम ने वकालत की पढ़ाई तो की लेकिन वकालत छोड़कर देश के लिए कुछ करने का जज्बा मन में लेकर आर्मी की राह चुनी. देश की सेवा करने के साथ-साथ शुभम को गाने का भी शौक था. अक्सर वह देशभक्ति गीतों को गुनगुनाया करते थे. शुभम के बारे में कुछ भावुक करने वाली दास्तान उसके भाई ऋषभ गुप्ता और दोस्तों ने बताई तो सभी के गले भर आए. शहीद कैप्टन शुभम गुप्ता के ताऊ के बेटे नरेश गुप्ता से जब हमने शुभम के बारे में पूछा तो रूंधे हुए गले से उन्होंने बताया कि शुभम को चुनौतियां स्वीकार थी. उनके चाचा वकील है इसकी वजह से शुभम ने वकालत की पढ़ाई तो की लेकिन उसमें मन नहीं लगा और सेना सेवा में चले गए. सर्वप्रथम सेवा में उन्हें सिंगनल कोर की जिम्मेदारी मिली लेकिन वह कुछ बड़ा करना चाहते थे.
दो-तीन महीने बाद ही सेवा की ओर से कमांडो की ट्रेनिंग के लिए फार्म भरवा गए. शुभम को इसी बात का इंतजार था और उन्होंने फॉर्म भर दिया. नरेश ने बताया कि ट्रेनिंग के बाद जब शुभम ने कमांडो बनने की बात बताई तो मैंने कहा कि इसमें खतरा अधिक रहता है. शुभम बोला भैया आसान गोल करना ही किसे है. देखना एक दिन पूरा देश मुझे सलाम करेगा. यह कहते हुए नरेश रो पड़े और खुद को संभालते हुए बोले आज उसने ऐसा ही कर दिखाया जो लोग हमें जानते तक नहीं है वह भी उसे नमन करने के लिए आ रहे हैं. देश की सेवा करने के साथ-साथ शुभम को गाने का भी काफी शौक था. हमेशा “ए मेरी जमीन, मेहबूब मेरी, मेरी नस-नस में तेरा इश्क बहे” फिल्म केसरी के गीत को शुभम गुनगुनाते रहते थे. और 2020 में जब शुभम ने यह गाना गया तो सारे दोस्त उनकी आवाज के मुरीद हो गए. इस गीत ने शुभम की जिंदगी बदल दी.
इससे पहले भी शुभम कई गाने अपनी आवाज में रिकॉर्ड कर चुके थे. शुभम का यह गीत गाते हुए का वीडियो अब सोशल मीडिया पर काफी तेजी से लोगों द्वारा देखा जा रहा है. शुभम के पिता बंसल गुप्ता ने बताया कि जब भी हम उससे शादी की बात करते थे तो शुभम कहता था कि अभी नहीं पापा अभी मुझे बड़ा काम करना है. जब यह काम पूरा कर लूंगा उसके बाद शादी के बारे में सोचूंगा. मैं और उसकी मां उसकी शादी की तैयारी में लगे हुए थे. हमारा मन था कि साल भर में हम अपने बेटे का विवाह कर देंगे. लेकिन उससे पहले ही हमारा बेटा इस देश पर कुर्बान हो गया.
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