आगरा. डॉक्टर भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में बीएड के सत्र 2022-24 के 30 हजार छात्रों का बिना वेब रजिस्ट्रेशन के ही प्रवेश ले लिया. इन छात्रों को करीब 8 महीने बीत चुके हैं. लेकिन अभी तक विश्वविद्यालय ने इनका वेब रजिस्ट्रेशन नहीं कराया. जिसकी वजह से छात्र-छात्राओं को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, ना तो वह लोग स्कॉलरशिप का फॉर्म भर पा रहे हैं और ना ही उन्हें नामांकन नंबर मिल पा रहा है. वहीं, विश्वविद्यालय ने ना तो बीएड के सत्र 2021-23 के छात्र छात्राओं की द्वितीय वर्ष की परीक्षा शुरू कराई है और ना ही सत्र 2022-24 के प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों की परीक्षा शुरू हुई हैं. इस वजह से जहां एक तरफ विद्यार्थियों का भविष्य खराब हो रहा है. वहीं दूसरी तरफ विश्वविद्यालय की करोड़ों रुपए की आय भी रुकी हुई है.
जानकारी के अनुसार, डॉ भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय से संबंधित बीएड कॉलेजों में विद्यार्थियों की 30 हजार सीटें मौजूद हैं. जिस पर प्रवेश लेने से पहले विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय की आधिकारिक वेबसाइट पर वेब रजिस्ट्रेशन कराना होता है. लेकिन, विश्वविद्यालय ने बीएड के सत्र 2022-24 के प्रथम वर्ष के छात्र छात्राओं के लिए वेब रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को शुरू ही नहीं किया. इसके बिना ही करीब 30 हजार विद्यार्थियों को बीएड में प्रवेश भी दे दिया. आपको ज्ञात हो कि विश्वविद्यालय से संबंधित किसी भी कोर्स में प्रवेश लेने से पहले विद्यार्थी को विवि की आधिकारिक वेबसाइट पर वेब रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होता है. इसके लिए विद्यार्थी को 120 रुपये का शुल्क चुकाना होता है.
अगर विश्वविद्यालय वेब रजिस्ट्रेशन समय पर शुरू कर देता तो करीब 30 हजार विद्यार्थियों से विवि को 36 लाख रुपए की आय होती. लेकिन, ऐसा ना होने के चलते विवि अपना काफी नुकसान कर रहा है. वहीं वेब रजिस्ट्रेशन ना होने के चलते बीएड प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों को भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. उनका कहना है कि इनरोलमेंट नंबर ना मिलने की वजह से उन्हें छात्रवृत्ति के फॉर्म भरने में परेशानी हो रही है. वहीं दूसरी तरफ रजिस्ट्रेशन ना होने की वजह से विद्यार्थियों को रोल नंबर भी नहीं मिल पाएंगे. ऐसे में प्रथम वर्ष के छात्रों की होने वाली परीक्षाओं में भी काफी देरी हो सकती है. वहीं दूसरी तरफ विश्वविद्यालय ने सत्र 2021-23 के छात्रों की द्वितीय वर्ष की परीक्षा और 2022-24 के छात्रों की प्रथम वर्ष की परीक्षा भी शुरू नहीं कराई है.
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विश्वविद्यालय विद्यार्थियों की परीक्षा शुरू कराने से पहले परीक्षा फॉर्म भरवाता है जिसका प्रति छात्र शुल्क 4200 रुपये है. ऐसे में बीएड में प्रथम और द्वितीय वर्ष के 60 हजार विद्यार्थी हैं. अगर परीक्षाएं समय पर होती तो विश्वविद्यालय को इन विद्यार्थियों से 25 करोड़ 20 लाख रुपए तक की आय होती. लेकिन, विश्वविद्यालय ना तो छात्रों के भविष्य की चिंता कर रहा है. वहीं दूसरी तरफ अपना भी आर्थिक नुकसान करा रहा है. आरबीएस कॉलेज बीएड संकाय के विभागाध्यक्ष बसंत बहादुर सिंह का कहना है कि बच्चों की प्रवेश प्रक्रिया से पहले ही विश्वविद्यालय को वेब रजिस्ट्रेशन कराने थे. लेकिन हमारे द्वारा एक बार लिखित और एक बार मौखिक रूप से कहा जा चुका है. अभी तक कोई भी सुनवाई नहीं हुई. वहीं विश्वविद्यालय ने अभी तक बीएड की प्रथम वर्ष और द्वितीय वर्ष परीक्षा शुरू नहीं कराई है. जिससे यह साफ दिख रहा है कि विश्वविद्यालय अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन सही से नहीं कर पा रहा है.