Agra News: उत्तर प्रदेश के आगरा जनपद में एक बुजुर्ग की वृद्धावस्था पेंशन अचानक से रुक गई. उसने जब विकास भवन में पता किया तो जानकारी मिली कि बुजुर्ग को सरकारी कागजों में मृत घोषित कर दिया गया है. कई अधिकारियों और कार्यालय के चक्कर लगाने के बाद बुजुर्ग “मैं जिंदा हूं” के पर्चे लेकर जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचा. मामला मीडिया के जरिए सुर्खियों में आने के बाद जिलाधिकारी ने संज्ञान लिया और संबंधित अधिकारियों को फटकार लगाते हुए तलब किया. इसके साथ ही उन्हें निर्देश दिए कि व्यक्ति के जिंदा रहते उसे मृतक घोषित करने की जो गलती हुई है उसे तत्काल सही किया जाए और बुजुर्ग की पेंशन शुरू की जाए. खुद को कागजों में जिंदा साबित करने के बुजुर्ग के इस प्रयास की हर तरफ चर्चा हो रही है. वहीं जिलाधिकारी की पहल के बाद अब बुजुर्ग को पेंशन मिलना संभव हो सकेगा. आगरा के 70 वर्षीय दीनानाथ यादव एत्मादपुर क्षेत्र के नगला हंसराज मौजा धरैरा के रहने वाले हैं. उनका कहना है कि वह खेती-बाड़ी करते हैं और पिछले दो सालसे उन्हें सरकार से वृद्धावस्था पेंशन मिलती थी. इस वर्ष मार्च में अचानक से उनकी पेंशन रुक गई. इसके बारे में जानने वह ग्राम सचिव के कार्यालय में पहुंचे. लेकिन, उन्हें सही जानकारी नहीं मिली. ऐसे में वह जनपद के विकास भवन में पहुंचे. जहां उन्हें पता चला कि एक अधिकारी की कारगुजारी के चलते सरकारी कागजों में दीनानाथ को मृत घोषित कर दिया गया है और इसी वजह से उनकी पेंशन रुकी हुई है. इससे बुजुर्ग बेहद परेशान हुए.
वृद्धावस्था पेंशन बहाल करने के लिए आठ महीने से आगरा के अधिकारियों के चक्कर लगा रहे दीनानाथ ने बताया कि इसके लिए उन्होंने संबंधित ब्लॉक सचिव कार्यालय में अपनी शिकायत दी. लेकिन, उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई. इसके बाद करीब दो-तीन बार वह विकास भवन के चक्कर भी काट चुके हैं. कई सरकारी कार्यालयों की खाक छानने के बाद भी पिछले करीब 8 महीने से दीनानाथ की समस्या का निस्तारण नहीं हो पाया और उनको पेंशन नहीं मिल पाई है.
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ऐसे में कहीं सुनवाई नहीं होने पर उन्होंने अफसरों को चेताने के लिए खास उपाय किया. वह “मैं जिंदा हूं” कि पर्चे छपवाकर और अपनी समस्या लेकर शनिवार को आगरा के कलेक्ट्रेट स्थित जिलाधिकारी कार्यालय पर पहुंचे. उनके हाथ में लगे पर्चे को देखते ही लोगों ने उन्हें घेर लिया और उनकी समस्या के बारे में जानने लगे. इस पर दीनानाथ ने बताया कि ब्लॉक एत्मादपुर में ग्राम सचिव के पद पर गौरव पाठक तैनात थे. उन्होंने सत्यापन में दीनानाथ को मृत घोषित कर दिया. जिसकी वजह से उनकी पेंशन रुक गई. इसके बाद से वह खुद को कागजों में जिंदा घोषित करने के लिए भागदौड़ कर रहे हैं. लेकिन, किसी ने उनकी समस्या को गंभीरता से नहीं लिया. बाद में जिलाधिकारी की पहल पर उनकी सुनवाई हो सकी.