Sawan Somvar 2022: आगरा जिले को ताजनगरी के साथ-साथ महादेव की नगरी भी कहा जाता है. सावन के दूसरे सोमवार पर हम आपको आगरा के एक खास मंदिर के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं. जिले के बाह क्षेत्र में स्थित यमुना नदी के किनारे बना बटेश्वर महादेव मंदिर जहां पर भगवान शिव की 101 शिवलिंग की श्रंखला मौजूद है. इस मंदिर का इतिहास बड़ा ही रोचक है. बताया जाता है कि जब डकैतों का समय चल रहा था उस समय कोई भी डकैत इस मंदिर में घंटा चढ़ाने के बाद ही बीहड़ में जाता था. बटेश्वर धाम के दर्शन किए बिना कोई भी डकैत यहां से गुजरता नहीं था.
ताजनगरी की बाह तहसील में स्थित बटेश्वर गांव के पास तीर्थराज बटेश्वर मंदिर स्थित है. सावन के महीने में यहां पर हजारों की संख्या में शिव भक्त पहुंचते हैं. मंदिर के ही पीछे यमुना नदी स्थित है और इस यमुना नदी के किनारे ही भोलेनाथ की करीब 101 शिवलिंग की श्रंखला मौजूद है. बताया जाता है कि यहां पहले शिवलिंग की स्थापना 1646 में भदावर घराने के राजा बदन सिंह ने की थी. बदन सिंह की सिर्फ एक बेटी थी उन्हें अपने राज्य के लिए उत्तराधिकारी की आवश्यकता थी ऐसे में उन्होंने अपनी मन्नत मांग कर शिवलिंग की स्थापना की और पूजा अर्चना की. बताया जाता है कि उनकी पूजा से प्रसन्न होकर भगवान ने उनकी पुत्री को ही लड़की से लड़का बना दिया. जिसके बाद से इस मंदिर की मान्यता आसपास के क्षेत्र में और बढ़ गई.
राजा बदन सिंह के शिवलिंग स्थापित करने के बाद उनके परिवार के तमाम राजा महाराजाओं ने यहां पर 1655 से 1773 तक करीब 40 शिवलिंग स्थापित किए. वहीं अब इस मंदिर पर करीब 101 शिवलिंग की श्रंखला मौजूद है. वहीं लोगों का यह भी मानना है कि कार्तिक महीने में खुद भगवान शंकर यहां यमुना नदी पर स्नान करने के लिए आते हैं. भदावर घराने के शिवलिंग पर जलाभिषेक करने की परंपरा के बाद से ही यहां पर जलाभिषेक होना शुरू हो गया. तब से लोग यहां आते हैं और शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं.
बटेश्वर धाम मंदिर पर हमेशा से ही भदावर परिवार का वर्चस्व रहा है. मंदिर की जो कमेटी है उस कमेटी के अध्यक्ष भदावर परिवार के ही लोग बनते आए हैं. यही कारण है कि बाह क्षेत्र में भदावर परिवार का राजनीतिक वर्चस्व भी हमेशा बना रहता है.
आपको बता दें राजा महाराजाओं के साथ-साथ यह मंदिर डकैतों की भी मुख्य पसंद रहा है. चंबल के बीहड़ में रहने वाले डकैत किसी भी बड़े काम को करने से पहले बटेश्वर मंदिर पर घंटा चढ़ाते थे. और उसके बाद ही किसी जमीदार या राजा के अत्याचार के खिलाफ बीहड़ में कूद जाते थे. चंबल के ही कुख्यात डाकू मान सिंह ने भी यहां पर घंटा चढ़ाया था. साथ ही डाकू गुनगुन परिहार ने यहां घंटा चढ़ाकर बागी बनने का ऐलान किया था.