Agra News: आगरा में सरकारी अस्पताल एसएन मेडिकल कॉलेज में भर्ती करने के नाम पर एंबुलेंस चालक नवजात ने ट्रांस यमुना स्थित एएस अस्पताल में भर्ती करा दिया, जहां उसकी मौत हो गई. इलाज के नाम पर अस्पताल प्रशासन ने उसे लाखों का बिल थमा दिया. शिकायत करने पर स्वास्थ्य विभाग की टीम ने नवजात को अस्पताल में भर्ती करने और उसकी मौत के मामले में जांच शुरू कर दी है. स्वास्थ्य विभाग व एसएन मेडिकल कॉलेज की टीम हॉस्पिटल में पहुंची. जहां सीसीटीवी कैमरे खंगाले गए. साथ ही टीम ने मृतक बच्चे की अस्पताल से बेड हेड टिकट (बीएचटी) जब्त की है. मुख्य चिकित्साधिकारी आगरा ने बताया कि जो सरकारी एंबुलेंस बच्चों को लेकर इमरजेंसी आई थी. वह एसएन अस्पताल पहुंची या नहीं इसके बारे में जानकारी नहीं मिल पा रही है. अस्पताल के सीसीटीवी फुटेज में एंबुलेंस नहीं दिखाई दे रही है. जांच में एसएन मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विशेषज्ञ हॉस्पिटल पंजीकरण प्रभारी डॉक्टर एसएम प्रजापति और एसके राहुल शामिल हैं. वहीं एएस हॉस्पिटल के संचालक डॉक्टर विजय यादव का कहना है कि उनके पास जब बच्चे को डिस्चार्ज किया गया तो वह जीवित था उनके अस्पताल में बच्चे की मृत्यु नहीं हुई.
हाथरस के रहने वाले अतुल की पत्नी ने 23 नवंबर को एक बच्ची को जन्म दिया था. इसके बाद उसकी बच्ची दूध पीने पर उसे पलटने लगी थी. ऐसे में उन्होंने सादाबाद के एक डॉक्टर को अपनी बच्ची को दिखाया. डॉक्टर ने जिला अस्पताल ले जाने की सलाह दी तो अतुल अपनी बच्ची को लेकर जिला अस्पताल पहुंचे. इसके बाद जिला अस्पताल से बच्ची को आगरा एसएन मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर कर दिया गया. 108 एंबुलेंस बुलाई गई जिसमें बच्ची और उसके परिजन आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज पहुंचे. लेकिन, एंबुलेंस चालक ने एंबुलेंस कॉलेज से बाहर खड़ी कर दी और अंदर चला गया. जब लौट कर आया तो बच्ची के पिता से कहा कि यहां पर जगह नहीं है मैं तुम्हें एक प्राइवेट अस्पताल में ले चलता हूं. जहां पर सस्ते में इलाज हो जाएगा. नवजात का पिता एंबुलेंस चालक की बातों में आ गया.
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नवजात के पिता अतुल ने बताया कि 26 नवंबर रात 11:30 बजे एंबुलेंस चालक ने हमारी बच्ची को ट्रांस यमुना क्षेत्र के एएस हॉस्पिटल में भर्ती कर दिया. करीब आठ दिन हमारी बच्ची यहां भर्ती रही है. ऐसे में लाखों रुपए का बिल डॉक्टर द्वारा हमें थमा दिया गया. हमारी बच्ची की अस्पताल में ही मौत हो गई. जब हमने डॉक्टर से अपनी बच्ची को ले जाने के लिए कहा तो वह लोग धमकाने लगे और हमसे पैसे लेने के बाद हमारी बच्ची का शव हमें वापस किया.
बच्ची के पिता अतुल का कहना है कि हमारी बच्ची की मौत वेंटिलेटर पर लगाने के बाद ही हो गई थी. लेकिन, रुपए ठगने के लिए अस्पताल के डॉक्टर दिखावा करते रहे और बच्ची ले जाने से पहले हमारे ऊपर दबाव डालकर लिखवा लिया गया कि अस्पताल से बाहर जाने के बाद बच्ची जीवित रहे या मर जाए हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं है. अस्पताल के बाहर गाड़ी में जब बच्ची को हमारे हाथ में दिया गया तो उस समय बच्ची मृत थी.