Taj Mahal Urs Celebration: ताजमहल को सात अजूबों में शुमार किया जाता है. इस संगमरमरी इमारत की खूबसूरती देखकर हर कोई दीवाना हो जाता है. ताजमहल की खूबसूरती के साथ यहां होने वाला सालाना उर्स भी बेहद खास होता है. इस साल 27 फरवरी से ताजमहल में मुगल बादशाह शाहजहां का तीन दिवसीय 367वां उर्स होने वाला है. इस दौरान ताजमहल में कई खास रस्में निभाई जाएंगी.
इस साल 27, 28 फरवरी और एक मार्च को ताजमहल में मुगल बादशाह शाहजहां का उर्स मनाया जाएगा. यह कार्यक्रम तीन दिनों तक चलेगा. तीन दिनों में ताजमहल की खूबसूरती पर चार चांद लगता है. उर्स के दौरान ताजमहल अलग मिजाज और माहौल में नजर आता है. इस दौरान ताजमहल में कई खास रस्में निभाई जाती हैं. उर्स पर संदल से लेकर कव्वाली और चादर पोसी की रस्म होती है.
ताजमहल पर चढ़ने वाली चादर की रस्म में सभी धर्म-संप्रदाय के लोग शामिल होते हैं. चादर पोसी की रस्म के बाद ताजमहल में लंगर शुरू होता है. ताजमहल के उर्स के शुरू के दो दिन ताज में प्रवेश दोपहर दो बजे के बाद प्रवेश फ्री होता है. आखिरी दिन ताजमहल में पूरे दिन प्रवेश नि:शुल्क होता है.
शाहजहां सेलिब्रेशन उर्स कमेटी के चेयरमेन सैयद मुन्नवर अली
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ताजमहल के उर्स के अवसर पर पहले दिन घुसल की रस्म निभाई जाती है. इस रस्म के बाद अजान होती है और कव्वाली का कार्यक्रम शुरू किया जाता है. दूसरे दिन ताज पर चंदन का लेप चढ़ाया जाता है. इस रस्म को संदल कहा जाता है. संदल की रस्म से समूचा ताजमहल चंदन की खुशबू से महक उठता है.
उर्स के तीसरे दिन चादर पोसी की जाती है. सभी लोग इच्छा और सामर्थ्य के अनुसार चादर लेकर आते हैं. चादर पोसी के दिन सबसे लंबी चादर (सैकड़ों मीटर) ताज पर चढ़ाई जाती है, जिसमें सभी धर्म के रंग होते हैं. सबसे लंबी चादर में कपड़ा किसी एक व्यक्ति या समाज का नहीं होता है. इस चादर के लिए दुनियाभर के लोग कपड़े भेजते हैं. इस खास चादर का नाम हिंदुस्तानी सतरंगी चादर है.
(आगरा से राघवेंद्र सिंह गहलोत की रिपोर्ट)