आगरा. यूपीपीएससी ने बुधवार को पीसीएस (जे)-2022 के परिणाम घोषित कर दिया गया. uppsc.up.nic.in पर परिणाम अपलोड होते ही आगरा के कालिंदी विहार निवासी राज बहादुर सिंह मौर्य के यहां क्षाबंधन की खुशियां दोगुनी हो गई. खुशी की वजह थी उनके दोनों बच्चे (बेटी और बेटा) पीसीएस जे में जो चयनित हुए थे. शैलजा को 51 वीं और उनके भाई सुधांशु को 276 वी रैंक मिली. शैलजा और सुधांशु के बड़े भाई अरिजीत भदोही जिले में सिविल जज के पद पर तैनात हैं. शैलजा और सुधांशु के आवास पर इस समय सफलता की बधाई देने के लिए परिजनों, रिश्तेदारों और जानकारों का जमावड़ा लगा हुआ है.
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भाई सुधांशु और बहन शैलजा ने पहले ही प्रयास में यह सफलता प्राप्त की है. राज बहादुर सिंह मौर्य आगरा के खंदौली क्षेत्र के नगला अर्जुन गांव के रहने वाले हैं. वर्तमान में कालिंदी विहार में रहते हैं. एक महीने पहले ही वह जिला जज संवर्ग प्रधान न्यायाधीश फैमिली कोर्ट के पद से एटा से सेवानिवृत हुए हैं. उनका कहना है कि उनके तीन बच्चे हैं तीनों बच्चे अब न्यायिक सेवा में हैं. बड़ा बेटा अरिजीत सिंह का चयन 2018 में पहले ही प्रयास में हो गया था. इस समय वह भदोही जिले में सिविल जज के पद पर तैनात है. उसके बाद उनकी बेटी शैलजा और छोटा बेटा सुधांशु है. वह भी न्यायिक सेवा में चयनित हो गए हैं. राज बहादुर सिंह कहते हउनके लिए बहुत ही गर्व की बात है. उन्होंने बताया कि वह खुद न्यायिक सेवा में रहे हैं . इसीलिए वह चाहते थे कि उनके बच्चे भी इस क्षेत्र में जाएं.
पीसीएस जे में 51 वा स्थान हासिल करने वाली शैलजा का कहना है कि उन्हें बैडमिंटन खेलने का बहुत शौक है. वह जिला लेवल की खिलाड़ी भी रही हैं. कक्षा 9 में आने के बाद उन्होंने तय कर लिया था कि उन्हें भी पिता की तरह न्यायिक सेवा में जाना है. 12वीं के बाद उन्होंने बीए एलएलबी के लिए लखनऊ के राम मनोहर लोहिया नेशनल कॉलेज से पढ़ाई की. यहां गोल्ड मेडल हासिल किया.
एलएलबी करने के बाद उन्होंने पूरी तरह से पीसीएस की परीक्षा के लिए तैयारी करना शुरू कर दिया. पीसीएस जे में चयनित हो चुके बड़े भाई ने भी उनकी काफी मदद की. पापा न्यायिक सेवा में रहे जिसकी वजह से उन्होंने हमेशा समय-समय पर उन्हें गाइड किया. किस तरह से पीसीएस की तैयारी करनी है इसके बारे में भी जानकारी दी.
शैलजा के छोटे भाई सुधांशु ने भी पहले ही प्रयास में 271 वी रैंक हासिल की है. जब हमने पूछा कि आपने कोई और सेवा चयन क्यों नहीं किया तो उनका कहना था कि मेरे पापा हमेशा कहते हैं कि न्यायिक सेवा ईश्वरी सेवा के समान होती है. यहां सही को सही और गलत को गलत बताया जाता है. इस सेवा में कोई दबाव भी नहीं होता. जिसकी वजह से मैंने भी न्यायिक सेवा में जाने की ठान ली. पापा, बड़े भाई और दीदी तीनों ने मुझे पढ़ने में काफी मदद की. उन्होंने बताया कि मैं चाहता हूं कि जब मैं जज की कुर्सी पर बैठूं तो किसी भी प्रभाव में आकर काम ना करूं और निष्पक्ष फैसला करूं.