अलीगढ़. प्रख्यात इतिहासविद् इरफान हबीब ने सरकार द्वारा जगहों के नाम बदलने पर कहा है कि झूठ बोलना सही नहीं होता है. इरफान हबीब एएमयू में एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया था. इस दौरान नाम बदलने की सियासत पर बेबाकी से बोला. हालांकि इससे पहले इरफान हबीब काशी में ज्ञानवापी विवाद पर भी सुर्खियां बटोरी थी और कहा था कि औरंगजेब ने काशी, मथुरा के मंदिर तोड़े थे. तो क्या सरकार भी ऐसा करेगी? इरफान हबीब मध्यकालीन इतिहास पर खासी पकड़ रखते हैं.
औरंगाबाद का नाम बदल सकते थे. मलिक अंबर ने 1610 में बसाया था. बाद में औरंगजेब के नाम पर इसका नाम औरंगाबाद पड़ा. उन्होंन कहा कि इतिहास नहीं बनाया जा रहा है, बल्कि गलत बयानी की जा रही है. नाम बदलने की सियासत पर इरफान हबीब ने कहा कि मुगलसराय का नाम क्यों बदला गया. क्या मुगल नाम पसंद नहीं है. मुगलसराय में क्या खराबी थी. पुराने समय में सराय नाम से जानी जाती थी. सिर्फ मुगल नाम गलत लगा. इसलिए इसे बदल दिया गया.
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उन्होने बताया कि ऑर्गेनाइजर में नाम बदलने को लेकर पहले लेख छापे जाते थे. 60 के दशक में यह शुरू हुआ था. तब ताजमहल को मानसिंह पैलेस नाम बताते थे. क्योंकि इसे मानसिंह ने बनाया था. इतिहासविद् इरफान हबीब कहते हैं कि यह सही है कि वहां मान सिंह की हवेली थी और यह बात फारसी तारीख से पता चलता है. शाहजहां ने बाद में ताजमहल नाम दिया. मान सिंह के पोते जय सिंह को रुपए देकर शाहजहां ने लेने का प्रयास किया था. लेकिन मानसिंह ने गिफ्ट के तौर पर बादशाह को गिफ्ट कर दिया था. फिर बाद में शाहजहां ने इसके बदले मानसिंह को हवेली गिफ्ट की थी. इसके बाद अलग ही कहानी बना दी गई. मानसिंह जिस मंदिर में पूजा करते थे. वह भी यही था. इरफान हबीब कहते हैं मंदिर की तलाश के लिए अब ताजमहल को तोड़ों.
इनपुट- आलोक, अलीगढ़