जम्मू-कश्मीर में आतंकियों से मुठभेड़ में अलीगढ़ के पैराट्रूपर सचिन लौर शहीद हो गए. शहीद सचिन के पार्थिव शरीर को सड़क मार्ग के जरिए आगरा से अलीगढ़ लाया गया. टप्पल इंटरचेंज के पास दोपहर से ही गांव के युवा हाथों में तिरंगा लेकर जमा हो गए और वीर सपूत के आने का इंतजार करते रहे. सेना का वाहन जब सचिन को लेकर टप्पल पहुंचा तो इसके पीछे सैकड़ों वाहनों का हूजूम चल पड़ा. शाम करीब 6:15 बजे सचिन का पार्थिव शरीर जट्टारी पहुंचा. जिसके बाद सेना का वाहन जरतौली मोड़ से सचिन के गांव के लिए मुड़ गया. जरतौली से अंदर आते ही लोगों ने छतों से सचिन के ऊपर फूलों की वर्षा करनी शुरू कर दी और हर कोई उसे श्रद्धांजलि दे रहा था. शाम लगभग 7:20 बजे सचिन का पार्थिव शरीर उसके घर के अंदर लाया गया, जहां महिलाओं ने अमर शहीद के अंतिम दर्शन किए. अंतिम दर्शन के लिए लगभग आधे घंटे तक सचिन का पार्थिव शरीर उसके पैतृक घर पर रखा गया. जहां पर परिवार और गांव की महिलाओं ने उसके अंतिम दर्शन किए और उसे विनम्र श्रद्धांजलि दी.
शाम 7:50 बजे सेना के जवान सचिन के पार्थिव शरीर को अंत्येष्टि स्थल पर ले जाने के लिए चल पड़े. पूरे सम्मान के साथ अमर जवान को उसके अपने खेत में बनाए गए अंत्येष्टि स्थल पर पहुंचाया गया. सचिन को अंतिम विदाई देने के लिए आसपास के गांव और इलाकों से हजारों की संख्या में लोगों का हुजूम अंत्येष्टि स्थल पर पहुंच गया. पहले सेना के जवानों और अधिकारियों ने उसे पुष्प चक्र अर्पित किए. जिसके बाद पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने शहीद को नमन किया. अमर शहीद सचिन लौर को श्रद्धांजलि देने के लिए उत्तर प्रदेश के गन्ना विकास मंत्री और जिले के प्रभारी चौधरी लक्ष्मी नारायण भी अलीगढ़ पहुंचे. शहीद को देखकर प्रभारी मंत्री की आंखों से भी आंसू छलक पड़े. इस दौरान उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार को स्वीकृति पत्र दिया है, जिसमें शहीद के माता-पिता के खाते में 50 लाख रुपए आएंगे. एक व्यक्ति को उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से नौकरी दी जाएगी. वही इसके साथ जन प्रतिनिधियों ने शहीद के नाम गेट बनवाने का वायदा किया है.
वहीं, राज्य मंत्री अनूप बाल्मीकि ने भी शहीद के नाम पर योगदान देने के लिए कहा है. उन्होंने कहा कि इसके जरिए हमेशा उनकी याददाश्त बनी रहेगी, ताकि नौजवानों को भविष्य में प्रेरणा मिलती रहे. उन्होंने कहा कि यह दुख की घड़ी है इसकी पूर्ति मां-बाप, भाई- बहन के लिए कोई नहीं कर सकता. उन्होंने इसे गौरव का क्षड़ बताया. उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति केवल परिवार की धरोहर नहीं, बल्कि पूरे देश की धरोहर बन गया है. यह गर्व की बात है.
उन्होंने कहा कि दुश्मन की गोली पीठ पर लगती है तो यह कहा जाता है कि मरने से डरा होगा, लेकिन सचिन के सीने में गोली लगी और वह हंसता- हंसता प्राणी की बलदानी देश के ऊपर दिया है, हालांकि मंत्री जी अपने बयान के दौरान शहीद का नाम भी गलत बोल गए. उन्होंने कहा कि यह नौजवानों के लिए प्रेरणा स्रोत है. वही प्रभारी मंत्री शहीद के अंतिम यात्रा के दौरान देर रात डेढ़ घंटे देर से पहुंचे. अंतिम संस्कार (अंत्येष्टि) के लिए शहीद सचिन के परिवार को इंतजार करना पड़ा. वही, बलिदानी सचिन को सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई. शहीद के भाई विवेक लौर ने मुखाग्नि दी.
योगी सरकार के मंत्री चौधरी नारायण ने कहा कि निश्चित रूप से हमारा जो पड़ोसी देश है. वह आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देता रहता है, लेकिन हमारे प्रधानमंत्री पाकिस्तान और हमास के खिलाफ है. निश्चित रूप से आतंकवाद को मूल रूप से समाप्त करने के लिए भारत वर्ष पूरी दुनिया के उन देशों के साथ है जो आतंकवाद के खिलाफ है.
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