Prayagraj News: अतीत के गौरवशाली पल न सिर्फ वर्तमान को गौरवान्वित करते हैं, बल्कि भविष्य की प्रेरणा भी बनते हैं. 134 साल पुराने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के विजयनगरम हॉल में आज प्रधानमंत्री द्वारा प्रज्वलित की गई स्वर्णिम विजय मशाल का भव्य स्वागत किया गया. विशिष्ट सेवा मेडल प्राप्त लेफ्टिनेंट जनरल एस मोहन ने यह मशाल कुलपति प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव को सौंपी, जिसे कुलपति ने विजयनगरम हॉल के सामने स्थापित किया.
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कुलपति प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव ने कहा कि आज उन्हें 1971 के पल याद आ गए, जब वे काफी छोटी थी और तब युद्ध की विभीषिका से पूरे शहर में ब्लैक आउट हो जाता था. सायरन की आवाज सुनाई देती थी और जनजीवन रुक जाता था. कुलपति ने आगे कहा कि 1971 का युद्ध भारतीय सेना के इतिहास में ही नहीं, बल्कि विश्व सैन्य इतिहास में एक खास स्थान रखता है.
कुलपति ने इस अवसर पर कैप्टन महेंद्र नाथ मुल्ला के बलिदान का भी जिक्र किया. उन्होंने जनरल सैम मानेकशॉ के योगदान को खास तौर से रेखांकित किया. कुलपति के संबोधन के बाद आर्मी की सिंफनी बैंड द्वारा कई ओजपूर्ण गानों की धुन बजाई गई, जिनमें कदम-कदम बढ़ाये जा , वंदे मातरम प्रमुख थे. तत्पश्चात संगीत विभाग के छात्रों द्वारा ‘मेरा रंग दे बसंती चोला’ और ‘ए मेरे वतन के लोगों’ जैसे भावपूर्ण गीतों की प्रस्तुति दी गई.
सेना की सिंफनी धुन और संगीत विभाग के छात्रों द्वारा प्रस्तुत किए गए गीतों से पूरा माहौल ओजपूर्ण और भावपूर्ण हो गया. कवि श्लेष गौतम ने इस अवसर पर अपनी देशभक्ति कविता का पाठ किया तथा प्रोफेसर राजाराम यादव ने ‘जब सारी दुनिया सोती थी’ कविता का पाठ किया.
कार्यक्रम के अंत में विशिष्ट सेना मेडल से सम्मानित लेफ्टिनेंट जनरल एस मोहन ने कहा कि वह इस विजय मशाल को इलाहाबाद विश्वविद्यालय में लाकर गर्व की अनुभूति कर रहे हैं. उन्होंने स्वर्णिम विजय वर्ष 2021 की चर्चा करते हुए कहा कि 1971 के युद्ध के पश्चात भारतीय सेना ने अपनी कीर्ति की अमर छाप छोड़ी. ज्ञात हो कि 16 दिसंबर 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चार मशाल देशभर में रवाना किए थे.
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कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर जया कपूर ने किया. इस दौरान विश्वविद्यालय के तमाम शिक्षक , विभागाध्यक्ष और सेना के कई अधिकारी उपस्थित रहे. शाम 7 बजे सेना के वरिष्ठ अधिकारी विजय मशाल के साथ वापस लौट गए.
(रिपोर्ट- एस के इलाहाबादी, प्रयागराज)