Prayagraj News: खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का एक्सपेरिमेंटल बॉय बताने वाले इलाहाबाद शहर पश्चिमी से विधायक सिद्धार्थनाथ सिंह को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कैबिनेट में इस बार जगह नहीं मिली है. इसे लेकर राजनीतिक गलियारों में जहां चर्चा तेज हो गई है, वहीं समर्थको में भारी निराशा है. सिद्धार्थनाथ सिंह 2017 में विधायक निर्वाचित होने के बाद पहली बार स्वास्थ्य मंत्री बनाए गए थे. इसके बाद उनका मंत्रालय बदलकर एमएसएमई, खादी एवं ग्रामोद्योग, निवेश, निर्यात, वस्त्रोद्योग, रेशम, एनआरआई कर दिया गया. कुछ जानकारों का कहना है कि उन्हें संगठन में भेजा जा सकता है.
गौरतलब है कि सिद्धार्थनाथ सिंह पिछले कार्यकाल में मंत्री बनने के बाद लगातार अपने बयानों और पूर्व सांसद बाहुबली अतीक अहमद के साम्राज्य को सीधे चुनौती देने को लेकर अक्सर सुर्खियों में बने रहते थे. 2022 के विधानसभा चुनाव में भी सिद्धार्थनाथ सिंह लगातार अतीक अहमद पर हमलावर रहे हैं.
Also Read: Yogi 2.0 Cabinet: योगी कैबिनेट में अनिल राजभर का दबदबा कायम, UP सरकार में मिली बड़ी जिम्मेदारी
सिद्धार्थ नाथ सिंह बेशक 2017 के चुनाव के बाद चर्चा में आए, लेकिन राजनीति से उनका नाता पुराना रहा है. उनकी राजनैतिक जड़े कितनी मजबूत है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वह देश के पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के नाती हैं. प्रतिष्ठित कायस्थ परिवार से आने वाले सिद्धार्थनाथ के चाचा नौनिहाल सिंह एनडी तिवारी और वीपी सिंह के कार्यकाल में प्रभावशाली मंत्री रह चुके हैं.
Also Read: केशव प्रसाद मौर्य ने दूसरी बार उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री के रूप में ली शपथ, ऐसा रहा है राजनीतिक सफर
सिद्धार्थ नाथ सिंह ने अपना सियासी सफर बीजेपी के ही संगठन एबीवीपी से शुरू किया. 1998 में दिल्ली प्रदेश के बीजेपी युवा मोर्चा में राष्ट्रीय कार्य समिति के सदस्य बने. साल 2000 में उन्हें बीजेपी युवा मोर्चा में राष्ट्रीय कार्यसमिति का सदस्य और मीडिया सचिव बनाया गया. 2002 में वह बीजेपी की केंद्रीय मीडिया सेल का सहसंयोजक बने. इसके बाद उन्होंने गुजरात, कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान मीडिया समन्वयक का काम किया.
इसके बाद 2009 में बीजेपी ने उन्हें बड़ी जिम्मेदारी देते हुए राष्ट्रीय प्रवक्ता और लोकसभा चुनाव का समन्वयक नियुक्त किया. 2010 में उन्होंने पश्चिम बंगाल के सह प्रभारी के तौर पर काम किया. 2012 में सिद्धार्थनाथ सिंह को बीजेपी ने गुजरात विधानसभा चुनाव में केंद्रीय समन्वय बनाए. इसके बाद उन्होंने आंध्र प्रदेश में भी बतौर प्रभारी कार्य किया.
विधानसभा 2017 और 2022 के चुनाव में सिद्धार्थ नाथ सिंह ने लगातार शहर पश्चिमी विधानसभा में कमल खिलाया. उन्होंने ने 2017 के चुनाव में इस सीट पर करीब 85 हजार मत प्राप्त किए थे. वहीं सपा से ऋचा सिंह करीब 60 हजार मतों के साथ दूसरे नंबर पर रही थी. राजनीतिक पंडितों की माने तो उस समय अतीक और अशरफ ऋचा की मदद कर रहे थे. बावजूद इसके वह करीब 25 हजार के अंतर से चुनाव हार गई. वहीं 2022 के चुनाव में एक बार फिर सिद्धार्थनाथ ने सपा की ऋचा सिंह को 29,933 मत के अंतर से हरा दिया. सिद्धार्थनाथ सिंह को 118,759 मत, जबकि ऋचा सिंह को 88,826 मत प्राप्त हुए थे.
रिपोर्ट- एस के इलाहाबादी, प्रयागराज