नीरज आज से 10 साल पहले काफी मोटे हुआ करते थे, उस समय कोई नहीं जानता था कि वो भारतीय खेलों में नया इतिहास रचने वाले हैं. परिवार के दबाव में वजन कम करने के लिए वह खेलों से जुड़े और आज भारत को गोल्ड मेडल दिलाया.
हरियाणा के खांद्रा गांव के एक किसान के बेटे 23 वर्षीय नीरज ने टोक्यो ओलंपिक में भाला फेंक के फाइनल में अपने दूसरे प्रयास में 87.58 मीटर भाला फेंककर दुनिया को स्तब्ध कर दिया.
एथलेटिक्स में पिछले 100 वर्षों से अधिक समय में भारत की ओर से जो किसी ने नहीं कर पाया उसे कर दिखाया.
वह 13 साल की उम्र तक नीरज काफी शरारती थे. वह गांव में मधुमक्खियों के छत्ते से छेड़छाड़ करने के साथ भैसों की पूंछ खींचने जैसी शरारत करते थे. उनके पिता सतीश कुमार चोपड़ा बेटे को अनुशासित करने के लिए कुछ करना चाहते थे। काफी मनाने के बाद नीरज दौड़ने के लिए तैयार हुए जिससे उनका वजन घट सके.
उनके चाचा उन्हें गांव से 15 किलोमीटर दूर पानीपत स्थित शिवाजी स्टेडियम लेकर गये. नीरज को दौड़ने में कोई दिलचस्पी नहीं थी और जब उन्होंने स्टेडियम में कुछ खिलाड़ियों को भाला फेंक का अभ्यास करते देखा तो उन्हें इस खेल से प्यार हो गया.
अपने को फिट रखने के लिए नीरज घंटों अभ्यास करते हैं. अभ्यास करते हुए नीरज की कई तसवीरें इस समय वायरल हो रही हैं. इसके साथ ही नीरज अपनी डाइट पर भी खासा ध्यान देते हैं. उन्होंने एक वीडियो में बताया था कि वो हरियाणा के रहने वाले हैं, इसलिए जमकर दूध पीते हैं.