संसद के मानसून सत्र में कई मुद्दों को लेकर पक्ष और विपक्ष के बीच सदन में तकरार नजर आ रहा है.
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सरकार का प्रयास है कि संसद को सुचारू रूप से चलाई जाए तो वहीं विपक्ष लगातार सरकार को घेरने में जुटी हुई है.
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विपक्ष पेगासस जासूसी कांड, किसानों के प्रदर्शन समेत कई अन्य मुद्दों को लेकर लगातार सदन में सरकार से जवाब की मांग कर रही है.
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मौजूदा सत्र में लोकसभा में अभी तक जितना काम होना चाहिए उसमें से मात्र 14 प्रतिशत काम हो पाया है. यानी पक्ष और विपक्ष के बीच तकरात में लोकसभा का करीब 86 प्रतिशत समय बरबाद हो चुका है.
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राज्य सभा की बात करें तो यहां करीब 23 प्रतिशत ही काम हो पाया है.
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पक्ष विपक्ष के बीच जारी तकरार के कारण कई बिल बिना कोई बहस के ही पास हो गए हैं.
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आवश्यक रक्षा सेवा विधेयक को संसद से तीन अगस्त को पास कर दिया गया. इस बिल पर कोई बहस नहीं हुई और इसे ध्वनिमत से पास कर दिया गया.
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वहीं 28 जुलाई को दिवाला और दिवालियापन संहिता (संशोधन) विधेयक 2021 को भी बिना किसी बहस के पास कर दिया गया.
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26 जुलाई को राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी संस्थान, उद्यमिता और प्रबंधन विधेयक को तो पास करने में सदन में मात्र 6 मिनट का समय लगा. यह बिल भी बिना किसी बहस के पास हो गया.
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26 जुलाई को ही एक अन्य बिल भी पास किया गया. फैक्टरिंग रेगुलेशन (संशोधन) विधेयक, 2020 को पास करने में 13 मिनट लगे. वहीं भारतीय विमानपत्तन आर्थिक नियामक प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2021 को पास करने में मात्र 14 मिनट में पारित कर दिया गया.
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पीआरएस लेजिसलेटिव की ओर से संकलित आंकड़ों के अनुसार अगर देखा जाए तो इन सभी पांच बिलों को पास करवाने में मात्र 44 मिनट का समय लगा.
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