क्यों इतनी खास होती है ज्येष्ठ मास की निर्जला एकादशी व्रत

सनातन धर्म में एकादशी के दिन सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है.

ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने के लिए समर्पित है.

निर्जला एकादशी का व्रत सभी देवता, दानव, नाग, यक्ष, गन्धर्व, किन्नर, नवग्रह आदि श्रीविष्णु की कृपा पाने के लिए करते हैं.

एक बार नारद जी का नारायण प्रेम देखकर ब्रह्मा जी निर्जला एकादशी व्रत करने का सुझाव दिया.

नारद जी ने पूर्ण निष्ठा से एक हजार वर्ष तक निर्जल रहकर यह कठोर व्रत किया.

हजार वर्ष तक निर्जल व्रत करने पर नारद जी को चारों तरफ नारायण ही नारायण दिखाई देने लगे.

तभी से निर्जला एकादशी व्रत की शुरुआत हुई, इसलिए इस व्रत का विशेष महत्व बताया गया है.