क्या आपको पता है स्वस्तिक बनाने का सही और सटीक तरीका

हिंदू धर्म में स्वास्तिक को मंगल का प्रतीक माना गया है. इस चिन्ह को लोग अपने घर के दरवाजे और घर के अंदर कई स्थानों पर बनाते हैं.

हिंदू धर्म के प्रसिद्ध ऋगवेद में स्वास्तिक को सूर्य का प्रतीक माना गया है और इसकी 4 भुजाओं को चार दिशाएं बताया गया है.

स्वास्तिक की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसे जिस दिशा में भी बना दिया जाए यह वहां की पॉजिटिव एनर्जी को 108 गुना बढ़ा देता है.

ज्यादातर लोग स्वास्तिक को एक दूसरे से काटती हुई दो रेखाओं के माध्यम से बना लेते हैं, लेकिन, यह सही तरीका नहीं होता है.

जब भी स्वास्तिक बनाये तो रेखायें सदैव बाहर से अंदर की ओर खींचना है और सदैव दक्षिणावर्ती दिशा का पालन करें.

ज्योतिषाचार्य के अनुसार पहले प्लस का साइन बनाते हैं और उसके बाद स्वास्तिक की अन्य भुजाएं बनाते हैं. मगर, इस तरह बनाए गए स्वास्तिक को शुभ नहीं माना जाता है.

स्वास्तिक का हमेशा पहले दाएं का भाग बनाएं और फिर बाएं का भाग बना दें. इस तरह बने स्वास्तिक को ही शुभ माना जाता है.