ट्विटर पर दो तस्वीरें एक साथ शेयर की जा रही हैं, जिसमें बताया जा रहा है कि 1960 के दशक में महिलाएं स्वच्छंद हुआ करतीं थीं और अब 2021 में बुरके में महिलाओं के पैरों में बेड़ियां डाल दी गयीं हैं.
मोहम्मद नदीम ने लिखा है कि तालिबान का बयान आया है कि अफगानिस्तान में महिलाएं नौकरी कर सकेंगी, स्कूल जा सकेंगी. महिलाओं की सुरक्षा तालिबान की गारंटी है. लेकिन, तस्वीरें बयां करती हैं कि वहां क्या हो रहा है.
दुश्मन न करे दोस्त ने जो काम किया है... हेनरी किसिंगर ने कहा था- अमेरिका की दुश्मनी खतरनाक हो सकती है, लेकिन उसकी दोस्ती घातक हो सकती है. यह बात अवान ने लिखी है.
पोवालजी ने ट्वीट किया है कि कुछ देर के लिए अपने दुखों को भूल जाइए... हृदयविदारक तस्वीरें और वीडियो. अफगानिस्तान के लोग अपना ही देश छोड़कर भाग रहे हैं और दुनिया ने उन्हें अलग-थलग कर दिया है.
Other face of BBC: बीबीसी की जमकर आलोचना हो रही है. हिंदुस्तान में जब आतंकवादियों पर कार्रवाई होती है, तो वह लिखता है कि भारतीय सेना ने टॉर्चर किया, जबकि अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे को वह शांतिपूर्ण सत्ता हस्तांतरण लिखता है.
सनी रॉय ने ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक को-ऑपरेशन (OIC) को कोसा है. आतंकवाद फैलाने वाले पाकिस्तान को वह अपनी गोद में रखता है, जबकि अफगानिस्तान को डूबने के लिए छोड़ दिया. उईगर मुस्लिम तो पहले से ही डूब चुके हैं.
भारत दुबे लिखते हैं कि ये मत भूलो कि हर मुस्लिम इस्लाम को मानता है. सिर्फ हिंदू हैं जो धर्मनिरपेक्षता में यकीन करता है. बेहद शांतिप्रिय.
अफगानिस्तान से भागने की होड़ मची हुई है. तालिबान के कब्जे के बाद हर शांतिप्रिय व्यक्ति किसी भी सूरत में देश छोड़कर भाग रहा है. एयरपोर्ट पर विमान के लैंड करते ही उसमें सवार होने के लिए मारामारी शुरू हो जाती है.
अवनीश सिंह ने अफगानिस्तान की हालत पर मुस्लिम समाज के लोगों की चुप्पी पर सवाल खड़े किये हैं. उन्होंने पूछा है कि इस मुश्किल घड़ी में भारत के मुसलमानों ने मौन क्यों धारण कर लिया है.