झारखंड की राजधानी रांची से लगभग 80 किलोमीटर की दूरी पर मां छिन्नमस्तिके का यह मंदिर है. रजरप्पा के भैरवी-भेड़ा और दामोदर नदी के संगम पर स्थित मां छिन्नमस्तिके मंदिर आस्था की धरोहर है.
Maa Chinnamasta Temple | Prabhat Khabar Graphics
रजरप्पा मंदिर एक चमत्कारी स्थान है जो पौराणिक कथाओं और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है. यहां छिन्नमस्तिका देवी को एक विशेष रूप में पूजा जाता है, जिसे छिन्नमस्तिका, छिन्नमस्तिका देवी या छिन्नमस्तिका भगवती के नाम से भी जाना जाता है.
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रजरप्पा का यह सिद्धपीठ केवल एक मंदिर के लिए ही विख्यात नहीं है. छिन्नमस्तिके मंदिर के अलावा यहां महाकाली मंदिर, सूर्य मंदिर, दस महाविद्या मंदिर, बाबाधाम मंदिर, बजरंग बली मंदिर, शंकर मंदिर और विराट रूप मंदिर के नाम से कुल 7 मंदिर हैं.
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यहां मान्यता है कि माता चिन्तपुर्नी और माता रजरप्पा दो माताओं की अवतार हैं और यहां भक्त शिव और पार्वती की पूजा करते हैं.यह दामोदर और भरेवी नदी के संगम के पास ही स्थित है. यहां दामोदर और भरेवी नदी के संगम का दर्शन किया जा सकता है, जो प्राकृतिक सौंदर्य को बढ़ाता है.
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मंदिर के अंदर जो देवी काली की प्रतिमा है, उसमें उनके दाएं हाथ में तलवार और बाएं हाथ में अपना ही कटा हुआ सिर है. शिलाखंड में मां की तीन आंखें हैं. बायां पैर आगे की ओर बढ़ाए हुए वह कमल पुष्प पर खड़ी हैं.
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