कौशिकी अमावस्या के लिए तारापीठ स्थित मां तारा के मंदिर की विद्युत सजा की गयी है.
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वैश्विक महामारी कोरोनावायरस के संक्रमण के दौरान दो साल तक कौशिकी अमावस्या पर भक्तों के तारापीठ आने पर थी रोक.
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देश के कोने-कोने से तंत्र साधना के लिए तारापीठ आते हैं तांत्रिक और मां काली के भक्त.
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आपदा-विपदा को दूर करने वाली मां तारा मृत्यु के पश्चात भी तारने वाली हैं. शक्ति मातंगी के चरण कमल यहां के महाश्मशान में प्रतिष्ठित हैं.
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कौशिकी अमावस्या पर मां तारा के दर्शन के लिए दूर-दूर से पहुंच रहे हैं श्रद्धालु.
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वामाखेपा को तारापीठ में सिद्धि की प्राप्ति हुई थी. कहते हैं कि वामाखेपा की मां तारा से बातचीत होती थी.
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