विश्व की तीसरी सबसे ऊंची चोटी का नाम कंचनजंगा है, जिसकी समुद्रतल से इसकी ऊंचाई 8,586 मीटर है.
कंचनजंगा पर्वतश्रेणी दार्जिलिंग से 74 किलोमीटर पश्चिम-उत्तर दिशा में में स्थित है.
इसके साथ ही यह सिक्किम और नेपाल की सीमा को छूने वाले भारतीय प्रदेश में हिमालय पर्वत श्रेणी का एक हिस्सा है.
कंचनजंगा पर्वत का आकार एक विशालकाय सलीब के रूप में है, जिसकी भुजाएं उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम में स्थित है.
अलग-अलग खड़े शिखर अपने निकटवर्ती शिखर से चार मुख्य पर्वतीय कटकों द्वारा जुड़े हुए हैं, जिनसे होकर चार हिमनद बहते हैं.
इन हिमनदों में जेमु (पूर्वोत्तर), तालूंग (दक्षिण-पूर्व), यालुंग (दक्षिण-पश्चिम) और कंचनजंगा (पश्चिमोत्तर) शामिल है.
विश्व की तीसरी सबसे ऊंची चोटी का असली नाम कंचनजंगा है, लेकिन रेलवे समेत कुछ लोग इसे कंचनजंघा भी कहते हैं.
कंचनजंगा हिंदी का मूल शब्द नहीं है. इसकी उत्पत्ति तिब्बती भाषा के चार शब्द 'कांग-छेन्-द्जो-न्गा' से हुई है.
कांग का अर्थ बर्फ, छेन का अर्थ बड़ा, द्ज़ो का अर्थ खजाना और अंगा मतलब पांच होता है.
इन चारों शब्दों का अर्थ बर्फ में दबे पांच खजाने होते हैं. सिक्किम में इसका अर्थ विशाल हिम की पांच निधियों से लगाया जाता है.
नेपाल में कंचनजंगा पर्वत चोटी को कुंभकरन लंगूर भी कहा जाता है.
'कांग-छेन्-द्जो-न्गा' को ब्रिटानिका इनसाइक्लोपीडिया अंग्रेजी में Kang-chen-dzo-nga लिखता है.
कंचनजंगा के तिब्बती भाषा के मूल शब्द कांग-छेन्-द्जो-न्गा के अक्षरों को देखें, तो वहां 'घ' नहीं, बल्कि 'ग' दिखता है.
इस लिहाज से देखेंगे, तो विश्व की तीसरी सबसे बड़ी पर्वत चोटी का सही नाम कंचनजंगा ही होता है.
हालांकि, वर्ष 1962 में सत्यजीत रे द्वारा निर्देशित बांग्ला फिल्म के पोस्टर में Kanchonjônggha लिखा हुआ है.
वर्ष 2019 में असमी भाषा में बनी फिल्म कंचनजंगा:राइज के पोस्टर में अंगरेजी में Kanchanjangha: Rise लिखा हुआ है.
इन दोनों उदाहरणों को छोड़ दें तो, अंगरेजी में बहुधा Kanchenjunga लिखा हुआ ही मिलता है, Kanchenjungha नहीं.
हालांकि, भारतीय रेलवे कंचनजंगा एक्सप्रेस ट्रेन के बोर्ड पर कंचनजंघा शब्द का इस्तेमाल करता है.