एंटी रैबीज नहीं मिलने पर सदर अस्पताल में हंगामा

बक्सर : सदर अस्पताल में एंटी रैबीज इंजेक्शन नहीं मिलने पर सोमवार को मरीजों ने जमकर हंगामा किया. साथ ही अस्पताल प्रबंधक और जिला प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. इसके बाद अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ डीएम अरविंद कुमार वर्मा को लिखित आवेदन देकर शिकायत की, ताकि सदर अस्पताल में एंटी रैबीज इंजेक्शन की व्यवस्था […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 12, 2017 4:31 AM

बक्सर : सदर अस्पताल में एंटी रैबीज इंजेक्शन नहीं मिलने पर सोमवार को मरीजों ने जमकर हंगामा किया. साथ ही अस्पताल प्रबंधक और जिला प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. इसके बाद अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ डीएम अरविंद कुमार वर्मा को लिखित आवेदन देकर शिकायत की, ताकि सदर अस्पताल में एंटी रैबीज इंजेक्शन की व्यवस्था की जा सके. आक्रोशित मरीजों का अरोप है कि पिछले छह दिनों से अस्पताल में एंटी रैबीज इंजेक्शन नहीं है.

ऐसे में मरीजों को बाहर से इंजेक्शन खरीदकर लेना पड रहा है. गरीब परिवार के मरीजों तीगुने दामों में खरीदना पड़ रहा है, जिससे उन्हें काफी परेशानी हो रही है. पीडित मरीज अजय कुमार सिंह, अभिषेक यादव, अमित कुमार, सृष्टि कुमारी, राजकुमार चौहान, सरोज देवी, आशा देवी सहित कई मरीज सोमवार को सदर अस्पताल में एंटी रैबीज इंजेक्शन लेने के लिए पहुंचे हुए थे. इंजेक्शन लेने के लिए मरीजों ने निबंधन कराया. जब इंजेक्शन लेने के लिए विभाग में पहुंचे, तो वहां कोई मौजूद नहीं था. मरीज करीब एक घंटे तक बैठे रहे. इसके बाद नशा मुक्ति अभियान से जुडे कर्मी वहां पहुचे.

इंजेक्शन को लेकर मरीज और कर्मी में बहस शुरू हो गयी. इसके बाद मरीज आक्रोशित हो उठे और सदर अस्पताल में हंगामा शुरू कर दिये. मरीजों ने आरोप लगाया कि सदर अस्पताल की हालत दिन-पर-दिन स्थित खराब होते जा रही है. आये दिन एंटीरैबीज का इंजेक्शन खत्म रहता है. अस्पताल प्रबंधन पहले से इसकी कोई व्यवस्था नहीं रखती है. मरीजों ने जिलाधिकारी अरविंद कुमार वर्मा को लिखित आवेदन देकर अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ शिकायत की है, ताकि इस मामले की जांच करते हुए शीघ्र एंटीरैबीज इंजेक्शन की व्यवस्था की जाये, जिससे मरीजों को परेशान नहीं होना पड़े. मरीजों का कहना है कि इंजेक्शन नहीं मिलने के कारण बाजार से खरीदना पड़ता है, जिसके लिए बाहर से आठ सौ रुपये लेकर नौ सौ रुपये खर्च करने पड़ते हैं. इसमें सबसे अधिक परेशानी गरीब परिवार के मरीजों को होती है.

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