बेगूसराय/बीहट : जिले में लाख प्रयास के बाद भी निजी स्कूल प्रबंधन मानक के साथ विद्यालय संचालित करने में अक्षम साबित हो रहे हैं. नतीजा है कि प्रतिदिन निजी स्कूल जानेवाले बच्चों को जहां परेशानियों का सामना करना पड़ता है, वहीं उनके अभिभावकों के बीच भी किसी अनहोनी की घटना की आशंका हमेशा बनी रहती है. ताज्जुब की बात यह है कि सरकार के स्पष्ट आदेश के बाद भी ऐसे निजी विद्यालय प्रबंधन आदेश को ठेंगा दिखा रहे हैं. वहीं बरौनी में सोमवार की सुबह गंभीर हादसा होने से टल गया.
स्कूली बच्चों से भरी द ऑक्सफोर्ड इंटरनेशनल स्कूल की गाड़ी अचानक पलट गयी. जिसमें बच्चे घायल तो हुए लेकिन कोई अप्रिय घटना नहीं घटी. घटना का कारण गाड़ी की स्टेयरिंग का फेल होना बताया गया. इस घटना ने निजी स्कूलों के वाहनों में क्षमता से कई गुना अधिक बच्चों के जीवन को खतरे में डालकर ढोये जाने की पाेल खोल कर रख दी है. हालत तो यह है कि सीट कम,संख्या अधिक होने की वजह से अधिकतर बच्चे खड़े और लटक कर विद्यालय पहुंचने को मजबूर हैं.
यहां तक कि ऑटो में छोटे-छोटे बच्चे चालक के दोनों बगल में बैठे खुलेआम देखे जा सकते हैं. छह सीटों वाले ऑटो में 12 से 15 बच्चे बैठाये जाते हैं. स्कूल प्रशासन अधिक कमाई के लोभ में बच्चों के जीवन से खेल रहा है, वहीं बच्चों के अभिभावकों के साथ-साथ जिला प्रशासन भी उनकी सुरक्षा के लिए गंभीर नहीं है.
वाहन शुल्क जमा करने के बाद भी बस में खड़े आते-जाते हैं बच्चे : प्रतिवर्ष इन स्कूलों में वाहन शुल्क के नाम पर बढ़ोतरी की जाती है. इसके बाद भी स्कूली बच्चों को स्कूल प्रबंधन के द्वारा वाहनों में खड़े होकर ही आना-जाना पड़ता है. इसका मुख्य कारण है कि बच्चों की क्षमता के अनुसार स्कूल प्रबंधन के पास गाड़ियां नहीं होती हैं.नतीजा है कि दो गाड़ियों में जितने बच्चे बैठ पायेंगे.वह एक ही गाड़ी में लाद लिये जाते हैं. कोई ऐसा दिन नहीं है जहां के स्कूल की गाड़ियों में सीट के अनुसार ही बच्चों को स्कूल आते-जाते देखा गया हो.
चल रही हैं पुरानी और खटारा बसें : निजी स्कूलों में पुरानी व खटारा बसों का परिचालन हो रहा है.ऐसी गाड़ियों में कभी स्टेयरिंग तो कभी ब्रेक फेल होने की आशंका बनी रहती है.स्कूलों द्वारा गाड़ी मालिकों से हायर की गयी गाड़ियों का परिचालन कराया जा रहा है, जो किसी भी हालत में सड़क पर चलने लायक नहीं हैं. इनके आगे जिला परिवहन विभाग बेबस बना हुआ चुपचाप तमाशा देखने को विवश है.
स्कूल संचालकों के सामने हैं अभिभावक मजबूर : अधिकतर स्कूल संचालकों का कहना है कि पूरी तरह से फिट वाहनों का ही परिचालन कराया जाता है.वहीं सब कुछ देखते-समझते भी अभिभावक स्कूल संचालकों की मनमानी के सामने मजबूर हैं.अभिभावक कहते हैं कि स्कूलों में किराये के नाम पर मोटी रकम तो वसूली जाती है, लेकिन सुविधाएं नहीं दी जाती है.
पांच साल से पुराने वाहनों पर है रोक
जिले सहित बरौनी क्षेत्र में कई निजी स्कूलों के पास पर्याप्त संख्या में वाहन नहीं हैं. ऐसी स्थिति में स्कूलों मालिकों से किराये पर वाहनों को हायर कर लिया है. चतुर मालिकों ने खस्ताहाल वाहनों की रंगाई-पुताई करा कर उसे स्कूल प्रबंधक को दे दिया है.जबकि परिवहन प्राधिकार ने पांच वर्षाें से पुरानी गाड़ियों को स्कूल में चलाने पर रोक लगा रखी है. प्राधिकार द्वारा पांच वर्षाें से अधिक पुरानी बसों को परमिट नहीं दिया जाता है. ऐसे में बस संचालक रूट परमिट बनाकर स्कूलों में बसों का परिचालन करवा रहे हैं.
स्कूल बस में बिना लाइसेंस के ही अधिकतर चालकों से लिया जाता है काम : जिले में सैकड़ों की संख्या में चल रही इन स्कूल बसों में प्रबंधन के द्वारा जो चालक रखे जाते हैं, उसमें से अधिकतर बिना लाइसेंसधारी व अप्रशिक्षित चालक ही होते हैं, जो दुर्घटना का प्रमुख कारण बनते हैं.उन्हें न वाहनों के इंजन, ब्रेक, टायर और बॉडी के फिटनेस की चिंता रहती है और न सड़क पर सुरक्षा नियमों की. खुलेआम बच्चों की जिंदगी से खिलवाड़ किया जा रहा है.
क्या कहते हैं लोग
स्कूल बस में बच्चों के आने-जाने को लेकर स्कूल प्रबंधन को गंभीर होने की जरूरत है.कोई भी अभिभावक स्कूल पर विश्वास कर उन्हें अपना बच्चा सौंपता है.बच्चों के जीवन से खिलवाड़ करने का उन्हें कोई हक नहीं है.
श्यामनंदन सिंह,समाजसेवी
बच्चों के जीवन को खतरे में डालकर पैसे कमाने की होड़ में स्कूल बस में सीट से अधिक क्षमता के तहत बच्चों को लादकर ले जाया जाता है. इससे हमेशा दुर्घटना की आशंका बनी रहती है.
अमृत सिंह, जिला मंत्री,भाजयुमो
बच्चों के जीवन को खतरे में डालकर अपनी कमाई के लोभ की चिंता करनेवाले स्कूल प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए.
ओमप्रकाश सिंह, बरौनी प्रखंड कांग्रेस अध्यक्ष