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कहीं मुआवजे के लिए तो नहीं है ये खेल!

सिमरी : पूर्वी कोसी तटबंध के अंदर बीते दिनों कोसी नदी की विभीषिका ने काफी तबाही मचायी थी. इस विभीषिका में घर से लेकर फसल तक को काफी नुकसान पहुंचा था. वहीं इस बाढ़ ने कई लोगों की जान ले ली. बाढ़ में मरने वालों में सबसे ज्यादा बच्चे शामिल रहे. बीते शनिवार शाम भी […]

सिमरी : पूर्वी कोसी तटबंध के अंदर बीते दिनों कोसी नदी की विभीषिका ने काफी तबाही मचायी थी. इस विभीषिका में घर से लेकर फसल तक को काफी नुकसान पहुंचा था. वहीं इस बाढ़ ने कई लोगों की जान ले ली. बाढ़ में मरने वालों में सबसे ज्यादा बच्चे शामिल रहे. बीते शनिवार शाम भी तटबंध के अंदर कनरिया ओपी अंतर्गत सीमर टोका में छह वर्षीय गोपाल कुमार और रविवार को चिड़ैया ओपी अंतर्गत सहुरिया में नौ वर्षीय काजल कुमारी की मौत भी नदी में डूबने से बताई गयी.

नदी में डूबने की बात कनरिया और चिड़ैया ओपी अध्यक्ष ने दूरभाष पर मीडिया को भी पूछे जाने पर बतायी. वहीं सोमवार को पूर्वी कोसी तटबंध के अंदर कठडूमर पंचायत के आगर में बाढ़ के पानी में डूबने से एक बच्ची रूपम कुमारी की मौत की खबर सामने आयी. लेकिन कुछ ही देर बाद इस मौत पर सवाल खड़े होने शुरू हो गये. हुआ यूं कि बच्ची की मौत के बाद दो तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल होने लगी. जिसमें बच्ची के शव को एक व्यक्ति को गोदी में लिए दिखाया गया. वहीं दूसरे फोटो में बच्ची को गोद में लिया व्यक्ति उसके पैर को पानी में डाले हुए है. आश्चर्य यह है कि दोनों फोटो में बच्चे का शरीर पूरी तरह सूखा दिख रहा है.

शव में बच्चे के बाल से लेकर कपड़े पर पानी का नामोनिशान नहीं दिख रहा है. सोशल मीडिया में फोटो आने के बाद लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब बच्चे की मौत पानी में डूबने से हुई तो बच्चे का शरीर क्यों सूखा है. वहीं गोद में लिए व्यक्ति द्वारा बच्चे के पैर को पानी में घुसाई हुई तस्वीर भी लोगों को पच नहीं रही है.

पानी में डूबने से मौत पर मिलने वाले चार लाख के मुआवजा का उठाया जा रहा नजायज फायदा
तस्वीर पर सवाल उठाते हुए लोगों ने कहा है कि मौत के कारणों को छुपाते हुए बाढ़ के पानी में डूबने के नाम पर तटबंध के अंदर एक ऐसा अभियान चल चुका है. जिसकी जांच जरूरी है. लोगों के अनुसार बिहार सरकार द्वारा बाढ़ के पानी में डूबने से मौत पर चार लाख का मुआवजा दिये जाने के फैसले का ग्रामीण इलाके में नाजायज फायदा उठाया जा रहा है. मौत के विभिन्न कारणों को छुपाते हुए मौत का कारण बाढ़ में डूबना बताया जाता है. सूत्र बताते हैं कि इस खेल में गांव के स्थानीय जनप्रतिनिधि का भी भरपूर सहयोग होता है. वहीं आम मौत को भी चार लाख के मुआवजा के नाम पर स्थानीय जनप्रतिनिधि और स्थानीय थाना या ओपी को विश्वास में लेकर मौत के कारण को ही बदल दिया जाता है और मौत के बाद पोस्टमार्टम के नाम की खानापूर्ति तो की जाती है. लेकिन उसके परिणाम के इंतजार के बिना ही स्थानीय प्रशासन बच्चे के परिजनों को चार लाख का चेक थमा देता है. वहीं इस तरह की मौत की पोस्टमार्टम रिपोर्ट जिले से लेकर धूल फांकती ही रह जाती है. सोमवार को जब प्रभात खबर ने कनरिया ओपी अध्यक्ष धर्मवीर साथी से बच्चे की मौत का कारण पूछा तो ओपी अध्यक्ष ने मौत का कारण पानी में डूबना बताया.

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