बंगाल बंद के विरोध में दायर याचिका पर कोर्ट ने दी राय, शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करना मौलिक अधिकार

कोलकाता : कलकत्ता हाइकोर्ट ने भाजपा के बंगाल बंद को लेकर यह स्पष्ट कर दिया है कि शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करना नागरिकों का मौलिक अधिकार है. साथ ही हाइकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश देवाशीष करगुप्त व न्यायाधीश शंपा सरकार की खंडपीठ ने स्पष्ट कर दिया कि बंद का आह्वान करके जबर्दस्ती सामान्य जनजीवन को […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 27, 2018 4:00 AM
कोलकाता : कलकत्ता हाइकोर्ट ने भाजपा के बंगाल बंद को लेकर यह स्पष्ट कर दिया है कि शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करना नागरिकों का मौलिक अधिकार है. साथ ही हाइकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश देवाशीष करगुप्त व न्यायाधीश शंपा सरकार की खंडपीठ ने स्पष्ट कर दिया कि बंद का आह्वान करके जबर्दस्ती सामान्य जनजीवन को बाधित करने का अधिकार किसी को नहीं है.
इस संबंध में राज्य के लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए डीजी, गृह सचिव व डीएम को हाइकोर्ट ने निर्देश दिया है. जनजीवन बाधित न हो यह निश्चित करने के लिए राज्य प्रशासन को कहा गया है. रेल, सड़क व संपर्क व्यवस्था को सचल रखना होगा. बिजली, दमकल, अस्पताल जैसी जरूरी परिसेवा को सचल रखने का निर्देश प्रशासन को दिया गया. स्कूल, कॉलेज, सरकारी कार्यालय, अदालत जैसी संस्थानों को भी खुला रखना होगा.
कोई अप्रिय घटना न हो यह भी प्रशासन को सुनिश्चित करना होगा. उल्लेखनीय है कि उत्तर दिनाजपुर के इस्लामपुर के दाड़ीभीट हाइस्कूल में शून्यपद पर शिक्षक नियुक्ति को लेकर हुए हंगामे में गत 20 सितंबर को दो छात्रों की मौत गोली लगने से हुई थी. घटना के विरोध में भाजपा ने बंगाल बंद का आह्वान किया था. इस बंद के विरोध में ऑल इंडिया माइनोरिटी फोरम तथा इंडियन कराटे एसोसिएशन ने एक जनहित याचिका हाइकोर्ट में दायर की थी.
उनके वकील इदरीस अली का कहना था कि बंद असंवैधानिक है. विभिन्न समय पर बंद को लेकर दायर जनहित याचिकाओं में सुप्रीम कोर्ट तथा देश के विभिन्न हाइकोर्ट ने बंद को अवैध तथा असंवैधानिक कहा है. फिर भी भाजपा बंद के रास्ते पर ही गयी. हाइकोर्ट से हस्तक्षेप की अपील की गयी. बंद से नुकसान उठाने वालों के लिए मुआवजे की व्यवस्था भी बंद आहूत करने वाले ही करें.
इस संबंध में अदालत का कहना था कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है. इसका एक अपना संविधान है. हर नागरिक को अपनी राय जाहिर करने का अधिकार है. बंद के दिन जो रास्ते में निकलते हैं उनके परिजन चिंतित रहते हैं. उनके लिए हेल्पलाइन नंबर रहना जरूरी है जिससे समस्या होने पर परिजनों को सूचना मिल सके.
राज्य के एडवोकेट जनरल(एजी) किशोर दत्त ने कहा कि राज्य प्रशासन ने बंद के दिन जनजीवन सामान्य रखने के लिए सभी किस्म की व्यवस्था की है. यात्रियों को असुविधा न हो इसके लिए अतिरिक्त सरकारी बसें उतारी गयी. अतिरिक्त एंबुलेंस की भी व्यवस्था की गयी है. केंद्र की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल कौशिक चंद ने कहा कि रेल व मेट्रो परिसेवा को सामान्य रखा गया है.

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