असुरक्षित छात्राएं
बिहार के सुपौल जिले के कस्तूरबा बालिका विद्यालय की एक शर्मनाक घटना सामने आयी है. वहां सुदूर इलाकों से आने वाली लड़कियां छात्रावास में रहकर पढ़ाई कर रही थीं. इन लड़कियों को प्रतियोगिता के आधार वहां प्रवेश मिला. लड़कियां अपने सपनों को उड़ान देने के लिए दिन-रात मेहनत कर रही थीं, लेकिन आसपास के मजनुओं […]
बिहार के सुपौल जिले के कस्तूरबा बालिका विद्यालय की एक शर्मनाक घटना सामने आयी है. वहां सुदूर इलाकों से आने वाली लड़कियां छात्रावास में रहकर पढ़ाई कर रही थीं. इन लड़कियों को प्रतियोगिता के आधार वहां प्रवेश मिला. लड़कियां अपने सपनों को उड़ान देने के लिए दिन-रात मेहनत कर रही थीं, लेकिन आसपास के मजनुओं और शोहदों से वे परेशान थीं. लड़कियों के साथ बदसलूकी हो रही थी.
उन्हें भद्दी गालियां दी जाती थीं. उनके साथ आपत्तिजनक हरकतें भी की जाती थीं. रोज-रोज की बेइज्जती और बदसलूकी से परेशान लड़कियाें ने जब इसके खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत की, तो उनके साथ मारपीट की गयी. मनचलों ने उन्हें बुरी तरह मारा-पीटा. कई लड़कियां अस्पताल में भर्ती हैं. उनका इलाज चल रहा है.
विद्यालय प्रबंधन ने दोषी लड़कों के खिलाफ मामला दर्ज कराया और कुछ लोगों की गिरफ्तारी की खबर मिली है, मगर यक्ष प्रश्न यह है कि क्या पुलिस और प्रशासन को विधालय में लड़कियों के साथ अभद्र व्यवहार होने की कोई सूचना पहले से थी या नहीं? विद्यालय प्रबंधन क्या कर रहा था? अगर उन सब को इसकी जानकारी थी, तो वे अब तक क्या कर रहे थे?
उन मनचलों के खिलाफ क्या कोई कार्रवाई की गयी थी? यदि नहीं, तो इसके पीछे क्या कारण था? कहीं ऐसा तो नहीं कि शहर के मनचलों को राजनीतिक संरक्षण और पोषण मिल रहा था और उसके प्रभाव में सब चुप थे? सच्चाई जो भी हो, कस्तूरबा बालिका विद्यालय में ऐसी घटनाएं शर्मनाक और निंदनीय हैं. हमारी लड़कियां कहीं सुरक्षित और महफूज नहीं हैं.
भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं हो और दोषी लड़कों को कड़ी सजा मिले, यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है. अच्छी शिक्षा यदि संभव नहीं हो, तो कम-से-कम सुरक्षित और सम्मानजनक शिक्षा की व्यवस्था तो छात्राओं को मिले.
युगल किशोर, ईमेल से.