गोला : सकुशल लौटे अगवा आजसू नेता जलेश्वर

भाई और अन्य परिजन रात में ही प्रमुख को लाने चोपोद गांव पहुंचे मंत्री चंद्रप्रकाश चौधरी मुरी से प्रमुख को लेकर रांची स्थित आवास पहुंचे गुरुवार दोपहर में मेदांता में चेकअप कराने के बाद प्रमुख दोपहर 3:30 बजे कोईया गांव पहुंचे गोला : अपराधियों ने अगवा गोला प्रखंड प्रमुख सह आजसू जिला उपाध्यक्ष जलेश्वर महतो […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 30, 2018 5:56 AM
भाई और अन्य परिजन रात में ही प्रमुख को लाने चोपोद गांव पहुंचे
मंत्री चंद्रप्रकाश चौधरी मुरी से प्रमुख को लेकर रांची स्थित आवास पहुंचे
गुरुवार दोपहर में मेदांता में चेकअप कराने के बाद प्रमुख दोपहर 3:30 बजे कोईया गांव पहुंचे
गोला : अपराधियों ने अगवा गोला प्रखंड प्रमुख सह आजसू जिला उपाध्यक्ष जलेश्वर महतो को बुधवार रात लगभग डेढ़ बजे रिहा कर दिया. प्रमुख को पश्चिम बंगाल के तुलीन क्षेत्र के चोपोद गांव के समीप अपराधियों ने छोड़ा.
जहां प्रमुख को लेने उनके भाई व परिजन पहुंचे. इसके बाद पेयजल व स्वच्छता मंत्री चंद्रप्रकाश चौधरी मुरी पहुंचे और प्रमुख को लेकर सीधे रांची स्थित अपने आवास ले गये. रात भर उन्हें अपने साथ रखा. गुरुवार दोपहर में मेदांता में चेकअप कराने के बाद प्रमुख श्री महतो को लगभग 3:30 बजे कोईया गांव स्थित आवास पहुंचाया गया.
परिजन बेसब्री से उनका इंतजार कर रहे थे. जलेश्वर जैसे ही घर पहुंचे कि खुशी से सभी के चेहरे खिल उठे. हालांकि प्रमुख के चेहरे पर दहशत साफ दिख रहा था. इनसे मिलने के लिए मुखिया संघ व आजसू नेताओं व आमलोगों का तांता लगा रहा. हालांकि प्रमुख को कैसे छोड़ा गया, इस संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कछ नहीं बताया. उनकी क्रेटा कार व बाइक का पता नहीं चल पाया.
अपहरण की घटना प्रमुख की जुबानी : प्रमुख जलेश्वर महतो ने बताया कि अपहरणकर्ता मुझे (ललकी घाटी से मारंगमरचा तक 60 करोड़ रुपये की लागत से बन रही सड़क) बड़ा ठेकेदार समझ धोखे में अगवा कर ले गये.
जब उन्हें पता चला कि उक्त रोड का ठेकेदार ब्रह्मदेव महतो व चंद्रशेखर महतो हैं, तो उन्होंने मुझे रिहा कर दिया. उनलोगों ने न अपना नाम बताया और न ही संगठन का नाम. महतो ने बताया : 25 नवंबर की रात घर से उठाने के बाद मेरी आंखों पर काली पट्टी बांध दी और दक्षिण दिशा की ओर ले गये.
एक घंटे के सफर के बाद मुझे मेरी क्रेटा कार से उतार दिया गया. इसके बाद बाइक में बैठा कर कुछ दूर एवं कुछ दूर पैदल ले गये. वहां पहाड़ था. उस समय रात के करीब तीन बज रहे थे. पहाड़ पर चढ़ने के बाद झरना मिला. जहां पर झोपड़ीनुमा झाड़ी के नीचे मुझे रखा गया. वहां सोने के लिए चटाई दी गयी. समय पर नाश्ता, खाना व दवा भी दी गयी. अपराधी हमेशा नकाब पहने हुए रहते थे और स्थानीय भाषा में बातचीत करते थे.
छोड़ने के दिन भी काली पट्टी बांधी : 28 नवंबर की रात उन्हें छोड़ने के समय उनकी आंखों पर काली पट्टी बांध दी गयी थी. वे लोग मुझे पहाड़ी से नीचे उतारे. वहां पहले से मौजूद दो बाइक सवार लोगों ने मुझे बाइक में बैठाया. कुछ दूर जाने के बाद एक होटल के पास बाइक रोक दी गयी.
उस समय करीब रात के एक बज रहे थे. उन लोगों ने घरवालों को रिहा करने की सूचना दी. इसके बाद वे दोनों कहीं चले गये. वहां से कुछ दूर पर एक राशन दुकान के सामने बल्ब जल रहा था. वह दुकान पर पहुंचे और परिजनों के आने का इंतजार करने लगे. कुछ देर बाद परिजन पहुंचे. इसके बाद मैं उनके साथ रांची चला आया.

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