मिशन 2019 : भाजपा के लिए उजियारपुर है प्रतिष्ठा वाली सीट, कौन होगा नया सांसद, दो पक्षों में बंटे हैं मतदाता

भाजपा के लिए उजियारपुर प्रतिष्ठा वाली सीट बनी, नित्यानंद हैं सांसद, महागठबंधन में भी कई दावेदार पटना : भाजपा के लिए उजियारपुर प्रतिष्ठा वाली सीट बन गयी है़ उजियारपुर की सीट पर भाजपा से प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय की दाेबारा उम्मीदवारी पर कोई सवाल नहीं उठ रहा पर, महागठबंधन में इस सीट पर कई दावेदार […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 20, 2019 8:16 AM

भाजपा के लिए उजियारपुर प्रतिष्ठा वाली सीट बनी, नित्यानंद हैं सांसद, महागठबंधन में भी कई दावेदार

पटना : भाजपा के लिए उजियारपुर प्रतिष्ठा वाली सीट बन गयी है़ उजियारपुर की सीट पर भाजपा से प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय की दाेबारा उम्मीदवारी पर कोई सवाल नहीं उठ रहा पर, महागठबंधन में इस सीट पर कई दावेदार हैं.

दबी जुबां से इस बात की चर्चा भी है कि नित्यानंद राय को पार्टी दूसरी सीट से भी लड़ा सकती है. खुद राजद भी इस सीट को छोड़ना नहीं चाह रहा. पिछली बार के मुकाबले जदयू के शामिल होने से जहां एनडीए मजबूत हुई है. वहीं, उपेंद्र कुशवाहा, शरद यादव व मुकेश सहनी की पार्टी के शामिल होने से महागठबंधन भी अपने को ताकतवर मान रहा. जैसे-जैसे चुनाव करीब आते जा रहा, मतदाताओं की गोलबंदी दो खेमों में होने लगी है. 2014 के चुनाव में राजद ने आलोक मेहता को यहां से उम्मीदवार बनाया था. उजियारपुर सीट से माकपा का भी दावा रहा है. पिछले चुनाव में माकपा ने रामदेव वर्मा को उम्मीदवार बनाया था. इस बार महागठबंधन से माकपा भी उजियारपुर की सीट चाहती है.

यहां प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय पहली बार जीत कर सांसद बने हैं. पिछले चुनाव में उन्हें 3,17339 वोट मिले़ जबकि, उनके मुकाबले दूसरे स्थान पर रहे राजद के आलोक मेहता को 2,56881 और जदयू की अश्वमेधा देवी को 119669 वोट मिले़ यह सीट बटवारे में भाजपा के पास रही तो इस बार जदयू के साथ होने का लाभ भी उसे मिलेगा़ 2014 में भाजपा ने इसे राजद से छीना था़ आलोक मेहता यहां से सांसद थे.

इनपुट : उजियारपुर से अभय सिंह

कुशवाहा बहुल लोस क्षेत्र में यादव वोटरों का रुख काफी मायने रखता है

कुशवाहा बहुल उजियारपुर लोकसभा क्षेत्र में यादव वोटरों का रूख काफी मायने रखता है़ वोटरों के इसी समीकरण को भांपकर वर्ष 2014 के चुनाव में प्रमुख राजनीतिक दलों ने अपने-अपने प्रत्याशियों को मैदान में उतारा था़ जिसमें एनडीए के प्रत्याशी तत्कालीन भाजपा के हाजीपुर से विधायक रहे नित्यानंद राय ने बाजी मार ली थी़

जदयू की ओर से कुशवाहा समीकरण को ध्यान में रखकर प्रत्याशी के रूप में उतरी अश्वमेध देवी का हार का सामाना करना पड़ा था़ वहीं यूपीए गठबंधन की ओर से कुशवाहा और यादव समीकरण को ध्यान में रखते हुये राजद प्रत्याशी रहे आलोक कुमार मेहता को भी करारी हार का सामाना करना पड़ा था़

आसन्न लोकसभा चुनाव को लेकर अबतक न तो यूपीए और न ही एनडीए गठबंधन की ओर से प्रत्याशियों को लेकर पत्ते खोले जा रहे हैं. जिसके कारण तस्वीर पूरी तरह साफ नहीं हो रही है़ वैसे राजनीतिक हलकों से छनकर जो बातें सामने आ रही है उससे पता चलता है कि एनडीए की ओर से वर्तमान सांसद सह भाजपा प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय एक फिर उजियारपुर संसदीय सीट से मैदान में उतरेंगे़ जिसका उल्लेख सांसद ने कई बार अपने क्षेत्रीय मतदाताओं के बीच भी किया है़

इस तरह की घोषणा फिलहाल यूपीए की ओर से न तो की गयी है और ना ही इसकी झलक सामने आयी है़ सीटों क बटबारे में यदि उजियारपुर लोकसभा सीट जदयू के खाते में गयी तो यहां वर्ष 2009 में सांसद रह चुकी अश्वमेध देवी उम्मीदवार हो सकती है़ वे फिलवक्त जदयू की जिलाध्यक्ष भी हैं.

वैसे राजद की ओर से पूर्व मंत्री सह उजियारपुर विधायक आलोक कुमार मेहता के प्रबलतम दावेदारी की संभावना है़ छह विधान सभा क्षेत्र वाले उजियारपुर लोकसभा में जातीय समीकरण की कोई अधिकृत आंकड़ा उपलब्ध नहीं है लेकिन राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो चार लाख 60 हजार से अधिक कुशवाहा वोटर हैं. वहीं तीन लाख से अधिक यादव वोटर हैं.

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