हरेक कार्य के लिए प्रमाणपत्र बनाने की जरूरत नहीं

साहेबपुरकमाल : जाति और आवासीय प्रमाणपत्र की वैधता कभी समाप्त नहीं होती है जबकि आय और अस्थायी आवासीय प्रमाणपत्र की वैधता मात्र एक वर्ष के लिए होती है. इसलिए हरेक कार्य के लिए बार-बार प्रमाणपत्र बनाने की कोई जरूरत नहीं है. प्रखंड मुख्यालय परिसर स्थित आरटीपीएस काउंटर पर जाति, आवासीय, आय एवं अन्य प्रमाणपत्र के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 20, 2019 4:43 AM

साहेबपुरकमाल : जाति और आवासीय प्रमाणपत्र की वैधता कभी समाप्त नहीं होती है जबकि आय और अस्थायी आवासीय प्रमाणपत्र की वैधता मात्र एक वर्ष के लिए होती है. इसलिए हरेक कार्य के लिए बार-बार प्रमाणपत्र बनाने की कोई जरूरत नहीं है.

प्रखंड मुख्यालय परिसर स्थित आरटीपीएस काउंटर पर जाति, आवासीय, आय एवं अन्य प्रमाणपत्र के लिए आवेदन करने वालों की भीड़ को देखते हुए बीडीओ श्रीनिवास ने बिहार सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी पत्र का हवाला देते हुए कहा है कि इसमें स्पष्ट रूप से यह भी बताया गया है कि जाति एवं आवासीय प्रमाणपत्र की वैद्यता कभी समाप्त नहीं होती है.
इसलिए यह प्रमाणपत्र एक बार बना लेने पर दोबारा बनाने की आवश्यकता नहीं है. सिर्फ अस्थायी आवास प्रमाणपत्र की वैद्यता एक वर्ष के लिए है जिसे एक वर्ष बाद पुन: बनाने की आवश्यकता है. आय प्रमाणपत्र की मान्यता निर्गत तिथि से एक वर्ष के लिए होता है.
आगे बताया गया है कि व्यक्ति विशेष की जाति का निर्धारण पति की जाति के आधार पर नहीं बल्कि उसके पिता के आधार पर होता है.किसी भी सेवाओं के लिए अभ्यर्थियों द्वारा जमा किये गये उनके मूल प्रमाणपत्र को सत्यापन पश्चात उसे अभ्यर्थियों को पुन: वापस कर देने का प्रावधान किया गया है. क्रीमीलेयर में नहीं आने संबंधी विहित प्रपत्र में अभ्यर्थियों से अंडरटेकिंग प्राप्त कर पुराने क्रिमीलेयर रहित प्रमाणपत्र के आधार पर नया क्रिमीलेयर रहित प्रमाणपत्र निर्गत किया जा सकता है. क्रिमीलेयर रहित प्रमाणपत्र बार-बार बनवाने की आवश्यकता नहीं है.
राज्याधीन सेवाओं के लिए पुराने प्रमाणपत्र के साथ अंडरटेकिंग देकर आवेदन दिया जा सकता है. इसमें इस बात को भी स्पष्ट रूप से दर्शाया गया है कि राज्याधीन सेवाओं में राज्य के मूल निवासी को ही आरक्षण देय है. दिव्यांगजनों (विकलांग) को सरकारी सेवाओं में नियुक्ति में 4 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देय है.

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