नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के उस फैसले के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका पर कल सुनवाई के लिए सहमति जताई जिसमें सिविल सेवा की परीक्षा देने वाले छात्रों से 24 अगस्त को होने वाली प्रारंभिक परीक्षा के अंग्रेजी के कांप्रिहेंसिव भाग में दिये गये प्रश्नों के उत्तर नहीं देने को कहा गया है.
न्यायमूर्ति बी डी अहमद और न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल की पीठ के समक्ष एक परीक्षार्थी की जनहित याचिका आई जिसकी इसी मुद्दे पर पहले दाखिल याचिका एकल न्यायाधीश की पीठ ने कल खारिज कर दी थी.
हालांकि अदालत ने इस मुद्दे पर जनहित याचिका दाखिल करने की स्वतंत्रता उसे दी थी.महिला सिविल सेवा अभ्यर्थी दिनेश भाटिया की तरफ से विकास निगवान ने कहा, ‘‘अगर अंग्रेजी कांप्रिहेंसिव भाग के प्रश्नों, जिनके कुल 200 में से 22.5 अंक होते हैं, को जांचा नहीं जाएगा तो हजारों छात्रों पर प्रतिकूल असर पडेगा.’’ अदालत ने कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि आपको (वकील) एक अदालत से दूसरी अदालत में जाना अच्छा लगता है.
आपको एकल न्यायाधीश की पीठ के सामने इसका उल्लेख करना चाहिए था और यही याचिका जनहित याचिका के तौर पर एक बडी पीठ को भेजी जाती.’’ केंद्र सरकार ने सिविल सेवा परीक्षा की प्रारंभिक परीक्षा में अंग्रेजी कांप्रिहेंसन भाग को लेकर अनेक छात्रों द्वारा विरोध प्रदर्शन के बाद सी-सैट में अंग्रेजी भाषा के प्रश्न हटाने का फैसला किया था.
बाद में यूपीएससी ने उम्मीदवारों से कहा कि वे सी-सैट परीक्षा में प्रश्नों का उत्तर नहीं दें क्योंकि इस भाग की जांच नहीं होने से वरीयता सूची पर इसका कोई असर नहीं पडेगा.