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एक महीने में टूटी चाइनीज तकनीक से बनी सड़क

बक्सर : बक्सर शहर को मिला सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माणाधीन कार्य योजना में छोटकी सारिमपुर स्थित ट्रीटमेंट प्लांट की सड़क आखिरकार काफी मशक्कत के बाद बनी. इसके लिए जनता की आवाज तथा अन्य संगठनों द्वारा धरना-प्रदर्शन के साथ-साथ बक्सर बंद तक का आयोजन करना पड़ा. लेकिन, इसके चाइनीज संवेदक ट्राइटेक ने चाइनीज तकनीक से […]

बक्सर : बक्सर शहर को मिला सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माणाधीन कार्य योजना में छोटकी सारिमपुर स्थित ट्रीटमेंट प्लांट की सड़क आखिरकार काफी मशक्कत के बाद बनी. इसके लिए जनता की आवाज तथा अन्य संगठनों द्वारा धरना-प्रदर्शन के साथ-साथ बक्सर बंद तक का आयोजन करना पड़ा.

लेकिन, इसके चाइनीज संवेदक ट्राइटेक ने चाइनीज तकनीक से ऐसी सड़क बनायी जो चाइनीज खिलौने की तरह एक माह में ही चकनाचूर हो गयी. हालांकि, अभी इस नवनिर्मित सड़क का निर्माण कार्य भी पूरा नहीं हो पाया है. सड़क के दोनों किनारों पर ईंट सोलिंग एवं नाली निर्माण का कार्य शुरू भी नहीं हुआ और सड़क दर्जन भर जगहों पर टूट गयी.

विदित हो कि पूर्व की सड़क प्रधानमंत्री सड़क योजना द्वारा निर्मित थी, जिसकी चौड़ाई 12-5 फुट तथा दोनों तरफ नाली के साथ-साथ चार-चार फुट की ईंट सोलिंग की गयी थी तथा सड़क की ढलाई की मोटाई नौ इंच थी. इस चाइनीज कंपनी ने इसकी चौड़ाई अपने कद की तरह घटा कर 12 फुट कर दी तथा ढलाई की मोटाई भी तीन इंच घटा कर छह इंच कर दी. इससे पूरी सड़क ही बिल्कुल कमजोर पड़ गयी.

जबकि सूत्र बताते हैं कि करार के अनुसार कंपनी को पुरानी सड़कों की तरह ही निर्माण पूरा कराना है. यह भी विदित हो कि यह मार्ग आरा-बक्सर मुख्य मार्ग से शहर को जोड़नेवाला मार्ग है, जिस पर ट्रैफिक काफी होती है. स्थानीय लोगों को यह मलाल सता रही है कि काफी परेशानी के बाद सड़क तो बना, लेकिन यह पूर्व की भांति टिकाऊ न होकर चाइनीज खिलौने की भांति केवल झुनझुना साबित होगा.

ट्राइटेक कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर एके नारायण ने बताया कि सिविल लाइन, कोइरपुरवा, नयी बाजार तथा कब्रिस्तान तक की तोड़ी गयी सड़क बना ली गयी है. जबकि, टीचर कॉलोनी, नाथ बाबा मंदिर, बाजार समिति के पास की सड़क का निर्माण होना बाकी है. कुल 95 किलोमीटर की सड़क उनके द्वारा बनायी जानी है, जिसमें 33 किलोमीटर सड़क बनायी जा चुकी है.

कुल आधे दर्जन पीसीसी सड़कों को पाइप लाइन डालने के लिए उन्होंने तोड़ा है, जिसमें तीन किलोमीटर बना ली गयी है और तीन किलोमीटर में निर्माण कार्य किया जाना बाकी है. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि बुडको की स्टिमेट के अनुसार ही काम कराया जाता है, जहां जितनी मोटी सड़क होती है उतनी मोटी सड़क ही ट्राइटेक की ओर से बनाये जाने का प्रावधान है. कहीं भी मोटाई से कम ढलाई नहीं की गयी है.

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