गर्भावस्था में 12 सप्ताह का वैतनिक अवकाश
यह अधिनियम विशेष रूप से कामकाजी महिलाओं के हित सुनिश्चित करने के लिए लागू किया गया है. इसके तहत गर्भावस्था के दौरान महिला एवं शिशु के स्वास्थ्य की देखभाल के विभिन्न प्रावधान मौजूद हैं. देश के लगभग सभी सरकारी एवं गैरसरकारी संस्थानों में कार्य कर रही महिलाएं आज इस अधिनियम का लाभ ले रही हैं. […]
यह अधिनियम विशेष रूप से कामकाजी महिलाओं के हित सुनिश्चित करने के लिए लागू किया गया है. इसके तहत गर्भावस्था के दौरान महिला एवं शिशु के स्वास्थ्य की देखभाल के विभिन्न प्रावधान मौजूद हैं. देश के लगभग सभी सरकारी एवं गैरसरकारी संस्थानों में कार्य कर रही महिलाएं आज इस अधिनियम का लाभ ले रही हैं. यह कानून महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान वैतनिक अवकाश एवं अन्य मातृत्व लाभ प्रदान करता है.
प्रसूति प्रसुविधा अधिनियम 1961 के अंतर्गत कोई भी नियोक्ता किसी महिला कर्मचारी को उसके प्रसव या गर्भपात के तुरंत बाद छह सप्ताह तक जान-बूझ कर काम पर नहीं रख सकता. यह अधिनियम महिला को गर्भावस्था के दौरान कुल 12 सप्ताह का वैतनिक अवकाश प्रदान करता है. इस दौरान संबंधित महिला अपना नियमित वेतन प्राप्त करने की हकदार होती है. साथ ही महिला को अतिरिक्त मातृत्व लाभ भी प्रदान किया जाता है.
अनुपस्थिति के दौरान नियोक्ता संबंधित महिला को नौकरी से नहीं निकाल सकता और जहां तक संभव हो, नियोक्ता को महिला की सहायता करनी होती है. प्रसव के बाद महिला को कुछ समय तक ऐसा कोई काम नहीं दिया जायेगा, जिसमें उसे लंबे समय तक खड़े होकर कार्य करना पड़े, ज्यादा शारीरिक श्रम करना पड़े, अथवा कोई भी ऐसा कार्य करना पड़े, जो उसके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो.
इस कानून के लागू होने से पहले महिला कर्मचारियों को गर्भावस्था के दौरान अवकाश पाने के लिए नियोक्ता के विवेक पर निर्भर होना पड़ता था. कई महिलाओं को अवकाश नहीं मिल पाने के कारण अपनी नौकरी से भी हाथ धोना पड़ता था. इस अधिनियम ने महिलाओं के मातृत्व अधिकार सुनिश्चित करके उनके सशक्तीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है.